2005 में शिवसेना से राज ठाकरे का इस्तीफा: उद्धव ठाकरे ने क्या प्रतिक्रिया दी थी?
राज ठाकरे ने बीते कई वर्षों में बार-बार स्पष्ट किया है कि उनके और उद्धव ठाकरे के बीच मतभेद केवल राजनीतिक हैं, व्यक्तिगत नहीं. उन्होंने यह भी कहा है कि उनके मन में अपने चचेरे भाई के लिए कोई दुर्भावना या दुश्मनी नहीं है.

महाराष्ट्र की राजनीति में एक नई हलचल तब मची जब राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक पारिवारिक कार्यक्रम में एक साथ नजर आए. ये दो दशकों से अलग-अलग थे. इस मुलाकात ने आगामी नगर निगम चुनावों में दोनों के एकजुट होने की अटकलों को जन्म दिया है.
राज और उद्धव ठाकरे का पुनर्मिलन
राज ठाकरे ने अपने पॉडकास्ट में कहा कि उद्धव और मेरे बीच के विवाद और झगड़े मामूली हैं. महाराष्ट्र इन सबसे कहीं बड़ा है. ये मतभेद महाराष्ट्र के अस्तित्व और मराठी लोगों के लिए महंगे साबित हो रहे हैं. साथ आना मुश्किल नहीं है. यह इच्छाशक्ति का मामला है.
उद्धव ठाकरे ने इस पुनर्मिलन के लिए अपनी शर्त रखी है. उन्होंने कहा कि हम पक्ष बदलते नहीं रह सकते, जहां हम एक दिन उनका समर्थन करते हैं, अगले दिन उनका विरोध करते हैं और फिर से समझौता करते हैं. जो कोई भी महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करता है मैं उनका स्वागत नहीं करूंगा, उन्हें घर नहीं बुलाऊंगा या उनके साथ नहीं बैठूंगा.
संजय राउत की प्रतिक्रिया
शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने इस मुलाकात पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि दोनों भाई (गठबंधन के बारे में) फैसला करेंगे. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच वैचारिक मतभेद हैं, लेकिन परिवार एक है.
राजनीतिक विश्लेषण
राज ठाकरे की पार्टी, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS), पिछले कुछ वर्षों से राजनीतिक रूप से संघर्ष कर रही है. वहीं, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) को भी एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में विद्रोह के बाद कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. ऐसे में दोनों का एक साथ आना राजनीतिक मजबूरी भी हो सकता है.


