गोधरा दंगों में नरेंद्र मोदी के खिलाफ केस दर्ज कराने वाली जाकिया जाफरी का निधन
पूर्व कांग्रेस सांसद अहसान जाफरी की विधवा और 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद हुए गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार की पीड़िता, जकिया जाफरी का शनिवार को अहमदाबाद में निधन हो गया. वह 86 वर्ष की थीं. जकिया अपने परिवार के साथ अहमदाबाद में अपने अमेरिकी बेटी निशरीन के पास रह रही थीं.

पूर्व कांग्रेस सांसद अहसान जाफरी की विधवा और 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद हुए गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार की पीड़िता, जकिया जाफरी का शनिवार को अहमदाबाद में निधन हो गया. वह 86 वर्ष की थीं. जकिया अपने परिवार के साथ अहमदाबाद में अपने अमेरिकी बेटी निशरीन के पास रह रही थीं. सुबह करीब 11:30 बजे उनका निधन हुआ. उनके बेटे तनवीर ने इस खबर की पुष्टि की. उन्हें अहमदाबाद में उनके पति के पास सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा.
न्याय की लंबी लड़ाई
जकिया जाफरी 2002 के गुजरात दंगों के बाद न्याय के लिए संघर्ष करने वाली प्रमुख महिला के रूप में जानी जाती हैं. 2006 में उन्होंने गुजरात सरकार के खिलाफ एक लंबी कानूनी लड़ाई शुरू की थी. 2023 तक, जकिया हर साल गुलबर्ग सोसायटी में अपने घर के अवशेषों का दौरा करती थीं, जो नरसंहार का केंद्र था. उनकी यह लड़ाई दंगों के पीड़ितों के लिए न्याय प्राप्त करने की कोशिश थी.
सुप्रीम कोर्ट से निराशा
2022 में, सुप्रीम कोर्ट ने गोधरा दंगों के मामले में तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा दी गई क्लीन चिट को चुनौती देने वाली जकिया की याचिका को खारिज कर दिया था.
गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार और जकिया की भूमिका
गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार में अहसान जाफरी सहित 68 लोग मारे गए थे. जकिया ने 2006 में पुलिस के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी, जिसमें कहा गया था कि मोदी और अन्य राजनेताओं के खिलाफ हिंसा की शिकायत दर्ज नहीं की गई थी. उनके संघर्ष के कारण सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की पुनः जांच के आदेश दिए थे। हालांकि, 2012 में एसआईटी ने मामले को बंद कर दिया.