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AI Hiring में मर्दों से भेदभाव! महिलाओं को दे रहा नौकरी की तरजीह, रिसर्च ने खोली पोल

आज जब दुनियाभर की कंपनियां नौकरी के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का सहारा ले रही हैं, तब एक नई रिसर्च ने सभी को चौंका दिया है. दावा किया गया है कि AI हायरिंग प्रोसेस में लैंगिक भेदभाव कर रहा है और यह भेदभाव पुरुषों के खिलाफ हो रहा है. रिसर्च में यह सामने आया है कि जब महिला और पुरुष की योग्यता एक समान हो, तब भी AI महिलाओं को जॉब देने में प्राथमिकता दे रहा है.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

आज के डिजिटल युग में जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग तेज़ी से बढ़ रहा है, वहीं इससे जुड़े नए विवाद भी सामने आ रहे हैं. ताज़ा रिसर्च में दावा किया गया है कि AI जॉब सिलेक्शन की प्रक्रिया में लैंगिक भेदभाव कर रहा है और यह भेदभाव पुरुषों के खिलाफ है. रिसर्च में बताया गया है कि महिलाएं, जिनकी योग्यता पुरुषों के बराबर थी, उन्हें AI ने प्राथमिकता दी.

न्यूजीलैंड इंस्टीट्यूट ऑफ स्किल्स एंड टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर डेविड रोजाडो की इस रिसर्च ने AI के भविष्य पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. उन्होंने कहा कि आज दुनिया की कई बड़ी कंपनियां हायरिंग के लिए AI टूल्स पर निर्भर हैं, लेकिन यदि इन टूल्स में ही पक्षपात हो रहा है, तो यह एक गंभीर खतरे की ओर इशारा करता है.

22 AI मॉडल्स में महिलाओं को मिली तरजीह

प्रोफेसर डेविड रोजाडो ने ChatGPT, Gemini और Grok जैसे कुल 22 प्रमुख लैंग्वेज मॉडल्स (LLMs) को एक जैसी प्रोफाइल्स के जरिए टेस्ट किया. उन्होंने महिलाओं और पुरुषों के नामों से मिलते-जुलते रिज्यूमे तैयार किए और देखा कि हर बार महिला उम्मीदवार को प्राथमिकता दी गई. यह पैटर्न हर मॉडल में देखा गया चाहे वो किसी भी प्लेटफॉर्म पर हो.

कारण स्पष्ट नहीं, लेकिन चिंता गहराई

रोजाडो ने न्यूजवीक को दिए इंटरव्यू में कहा, "यह पैटर्न मॉडल के प्री-ट्रेनिंग डेटा, एनोटेशन प्रोसेस या सिस्टम-लेवल गार्डरेल्स के बीच जटिल इंटरैक्शन को दिखा सकता है. लेकिन इस तरह के व्यवहार की असल वजह अभी तक साफ नहीं है." रिसर्च में यह भी बताया गया है कि यह भेदभाव आकस्मिक नहीं है, बल्कि बार-बार एक जैसा परिणाम दे रहा है.

30,000 हायरिंग केस 

इस अध्ययन के अंतर्गत किए गए 30,000 फेक जॉब सिमुलेशन में 56.9% बार महिला उम्मीदवारों को चुना गया. यह आंकड़ा स्पष्ट रूप से लैंगिक तटस्थता के सिद्धांत (50-50) से अलग है, जो बताता है कि AI के निर्णय लैंगिक रूप से संतुलित नहीं हैं.

पुरुष उम्मीदवारों के लिए खतरे की घंटी

प्रोफेसर रोजाडो ने चेतावनी दी कि यह भेदभाव धीरे-धीरे और भी गहराता जा सकता है, जिससे योग्य पुरुष उम्मीदवारों को मौके कम मिल सकते हैं. जब रिज्यूमे में जेंडर कॉलम शामिल किया गया, तो महिलाओं को चुने जाने की संभावना और भी बढ़ गई.

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22 July 2025, 11:04 AM IST

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