सावन में भूलकर भी न खाएं ये चीजें, आपको पहूंचा सकता है अस्पताल, वजह कर देगी हैरान
सावन का महीना धार्मिक दृष्टि से जितना पवित्र है, सेहत की दृष्टि से उतना ही संवेदनशील भी है. भगवान शिव की आराधना और व्रत-उपवास के साथ यह समय शरीर को शुद्ध करने और सेहत को संवारने का उत्तम अवसर होता है. लेकिन इस मौसम में खानपान की जरा सी लापरवाही स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकती है.

सावन का महीना हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र और शुभ माना जाता है. भगवान शिव की आराधना, व्रत-उपवास और भक्ति से जुड़ा यह समय न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर होता है, बल्कि शरीर को डिटॉक्स करने का भी बेहतरीन मौका होता है. लेकिन यही समय अगर खानपान में जरा सी भी लापरवाही हो जाए, तो अस्पताल पहुंचने में देर नहीं लगती.
इस पावन महीने में कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे हैं जिन्हें पारंपरिक रूप से वर्जित माना गया है. विज्ञान भी इन वर्जनाओं की पुष्टि करता है. कारण है बरसात के मौसम में बढ़ते बैक्टीरिया, कमजोर पाचन तंत्र और बदलते वातावरण का शरीर पर असर. अगर आपने भी इन चीजों का सेवन किया तो नतीजा सिर्फ बीमार होना नहीं बल्कि गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं.
भूलकर भी न खाएं हरी पत्तेदार सब्जियां
सावन में सबसे पहले पत्तेदार सब्जियों से परहेज करने की सलाह दी जाती है. इसका कारण है बारिश के दौरान इन पर बैक्टीरिया, कीड़े और गंदगी का जमाव. आयुर्वेदाचार्य डॉ. आदित्य शर्मा कहते हैं, "सावन में पालक, मेथी, सरसों जैसी पत्तेदार सब्जियां पेट के संक्रमण और फूड पॉयजनिंग का कारण बन सकती हैं."
दही और छाछ से बनाएं दूरी
इस मौसम में दही और उससे बने उत्पादों का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह शरीर में कफ बढ़ाता है. साथ ही बारिश के कारण दही जल्दी खट्टी हो जाती है, जिससे गैस, अपच और जुकाम की समस्या हो सकती है.
न खाएं ज्यादा तली-भुनी चीजें
बरसात के मौसम में पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है. ऐसे में पकौड़े, समोसे, कचौरी जैसी भारी और तैलीय चीजें खाना हानिकारक हो सकता है. ये न केवल पेट में जलन और गैस बढ़ाती हैं बल्कि लिवर पर भी असर डालती हैं.
मांसाहार से भी करें परहेज
सावन में मांस-मछली खाना धार्मिक रूप से वर्जित है, लेकिन इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है. इस मौसम में मांस जल्दी खराब हो सकता है और इससे संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है. विशेषज्ञों के अनुसार, गर्म और उमस भरे वातावरण में मांसाहारी भोजन जल्दी सड़ सकता है, जिससे फूड पॉइजनिंग की संभावना बढ़ जाती है.
सड़क किनारे मिलने वाले फलों और जूस से बचें
खट्टे फल और खुले में मिलने वाले जूस कई बार दूषित पानी और गंदे बर्तनों में तैयार किए जाते हैं. ऐसे में वायरल बुखार, टाइफाइड और हैजा जैसी बीमारियां हो सकती हैं.
अधिक मसालेदार और तीखा भोजन न करें
सावन के मौसम में शरीर पहले से ही संवेदनशील होता है. अधिक मिर्च-मसाले वाला भोजन शरीर में जलन, एसिडिटी और डायरिया जैसी समस्याएं बढ़ा सकता है. संतुलित, हल्का और सादा भोजन ही बेहतर विकल्प होता है.
बासी खाना बन सकता है जहर
इस मौसम में बासी खाना जल्दी खराब हो जाता है, खासकर जब वो खुले में रखा हो. खाने में मौजूद बैक्टीरिया शरीर में जाकर पेट की गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं.
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य स्वास्थ्य जागरूकता के उद्देश्य से तैयार की गई है. किसी भी प्रकार की बीमारी, लक्षण या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के लिए कृपया विशेषज्ञ डॉक्टर या आयुर्वेदाचार्य से सलाह अवश्य लें.


