टायर पर भी डिपेंड करता है बाइक का माइलेज, जानिए ट्यूबलेस या ट्यूब में कौन है सबसे बेहतर
अक्सर लोग बाइक या कोई भी गाड़ी खरीदते समय माइलेज का ध्यान रखते हैं, लेकिन क्या आपको पता है की बाइक का माइलेज टायर पर भी निर्भर करता है. टायर के भी प्रकार होते हैं जो माइलेज को घटा या बढ़ा सकते हैं. तो चलिए इसके बारे में जानते हैं. किसी भी वाहन के सुरक्षित सफर के लिए टायर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

आजकल कहीं भी आने-जाने के लिए लोग पर्सनल वाहन का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसे में लोग बाइक या कोई भी गाड़ी खरीदते समय लोग माइलेज का खास ध्यान रखते हैं. इस बीच आज हम आपको बाइक के टायर के बारे में बताने जा रहे हैं जो माइलेज बढ़ाने या घटने का काम करता है. आमतौर पर ट्यूबलेस बाइक टायर ट्यूब वाले टायर की तुलना में महंगे होते हैं जिसके पिछे कारण भी है.
दरअसल, ट्यूबलेस टायर की निर्माण प्रक्रिया और तकनीकी में जटिलता ज्यादा होती है. इन्हें हवा का रिसाव कम करने के लिए खास रबर और सीलिंग की जरूरत पड़ती है जिससे उनका निर्माण खर्च ज्यादा होता है. इसके अलावा ट्यूबलेस टायर ज्यादा पंक्चर प्रतिरोधी होते हैं, जिसमें रोलिंग रेजिस्टेंस कम होता है. यह लंबे समय में बेहतर प्रदर्शन और कम रखरखाव की संभावना होती है.
ट्यूबलेस या ट्यूब टायर के बीच अंतर
1. गाड़िया 2 तरह के टायरों पर चलती हैं, ट्यूबलेस या ट्यूब टायर. दोनों के ही अपने-अपने फायदे और अपने-अपने नुकसान हैं. ट्यूब टायर की बात करें तो इसमें एक इनर ट्यूब होती है जो टायर के अंदर हवा को संलग्न करती है. यह ट्यूब रबर से बनी होती और टायर के अंदर हवा को बनाए रखने का काम करती है.
2. वहीं ट्यूबलेस टायरों में ट्यूब की जरूरत नहीं होती है. इस टायर को बनाने के लिए टायर और रिम के बीच हवा का सील बनाने के लिए विशेष प्रकार की रबर सिलिंग होती है. हवा सीधे टायर के अंदर रहती है और रिम के साथ एक सील बनाती है.
3. ट्यूबलेस टायर की पंक्चर प्रूफनेस की बात करें तो ये टायर पंक्चर के प्रति ज्यादा प्रतिरोधी होते हैं क्योंकि इसमें हवा का रिसाव कम होता है. वहीं ट्यूब टायर पंक्चर के मामले में, हवा ट्यूब के बाहर निकल जाती है.
4. ट्यूबलेस टायर आमतौर पर ट्यूब वाले टायर की तुलना में बेहतर माइलेज दे सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि, यह पैचिंग और पंक्चर प्रूफनेस होता है. इसके साथ ही कम रोलिंग रेजिस्टेंस और हल्के टायर होते हैं.
5. ट्यूबलेस टायर हल्के होने के कारण इंजन को टायर घुमाने के लिए कम ताकत लगाने की जरूरत पड़ती है. इसलिए ट्यूबलेस टायर वाली गाड़ियों में थोड़ा बेहतर माइलेज मिल जाता है. वहीं ट्यूब टायर मुकाबले में ज्यादा भारी रहते हैं इसलिए इनमें माइलेज कम मिलता है.