इंटरनेट की रेस में कौन सबसे तेज? अमेरिका और भारत से भी आगे ये देश
Fastest internet speed: अगर आप सोचते हैं कि अमेरिका या भारत इस लिस्ट में टॉप पर होंगे, तो जरा रुकिए. हाल ही में जारी एक ग्लोबल रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि इंटरनेट स्पीड की दौड़ में इन बड़े देशों को पछाड़कर एक छोटा लेकिन तकनीकी रूप से समृद्ध देश सबसे आगे निकल गया है.

Fastest internet speed: आज के डिजिटल युग में इंटरनेट स्पीड किसी भी देश की तकनीकी तरक्की का अहम संकेत बन चुकी है. ज्यादातर लोग यह मानते हैं कि अमेरिका, भारत या चीन जैसे बड़े और विकसित देश सबसे तेज इंटरनेट सेवाएं देते होंगे. लेकिन हाल ही में सामने आई एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट ने इस धारणा को पूरी तरह बदल दिया है.
Speedtest Global Index की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2025 तक संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने औसतन 442 Mbps की मोबाइल इंटरनेट स्पीड के साथ पूरी दुनिया में पहला स्थान हासिल किया है. हैरानी की बात ये है कि अमेरिका, भारत और पाकिस्तान इस सूची में काफी पीछे हैं. अब जानिए विस्तार से कि कौन से देश सबसे आगे हैं और भारत-पाकिस्तान क्यों पिछड़े हैं.
UAE बना इंटरनेट स्पीड का बादशाह
Speedtest की ग्लोबल रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2025 तक UAE की औसतन मोबाइल इंटरनेट स्पीड 442 Mbps रही, जो दुनिया में सबसे तेज है. इसके बाद कतर, हांगकांग, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया जैसे छोटे लेकिन तकनीकी रूप से उन्नत देशों ने टॉप-5 में जगह बनाई है.
भारत कहां है इस रेस में?
भारत की बात करें तो देश में औसत मोबाइल इंटरनेट स्पीड करीब 54 Mbps है, जबकि फिक्स्ड ब्रॉडबैंड स्पीड लगभग 75 Mbps तक पहुँच रही है. ये आंकड़े भले ही बढ़ रहे हों, लेकिन UAE और दक्षिण कोरिया जैसे देशों की तुलना में भारत अभी भी काफी पीछे है.
अमेरिका भी पीछे
हालांकि अमेरिका में फिक्स्ड ब्रॉडबैंड स्पीड करीब 240 Mbps तक है, लेकिन फिर भी वो टॉप देशों की सूची में नहीं आ पाया है. सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और हांगकांग जैसे देशों ने अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया है.
क्या पाकिस्तान इस लिस्ट में है?
Ookla की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की मोबाइल इंटरनेट स्पीड अभी भी 20 Mbps से कम है. यह स्पीड वैश्विक औसत से काफी नीचे है, जिससे यह साफ हो जाता है कि पाकिस्तान इंटरनेट स्पीड के मामले में शीर्ष देशों की लिस्ट में शामिल नहीं है.
भारत और पाकिस्तान क्यों पिछड़े?
1. जनसंख्या घनत्व:
भारत और पाकिस्तान दोनों में मोबाइल यूज़र्स की संख्या बहुत अधिक है, जिससे नेटवर्क पर भारी लोड पड़ता है.
2. इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी:
ग्रामीण और दूर-दराज़ इलाकों में अब भी फाइबर कनेक्टिविटी की भारी कमी है.
3. नीतिगत समस्याएं:
इन देशों में डेटा भले ही सस्ता हो, लेकिन नेटवर्क के विस्तार और तकनीकी निवेश में अब भी कई चुनौतियां हैं.
छोटे देश, बड़ी स्पीड
यूएई, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया जैसे देश तकनीकी रूप से बेहद उन्नत हैं. यहां की सरकारें डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर में लगातार निवेश कर रही हैं, जिसकी वजह से इंटरनेट की गुणवत्ता और स्पीड लगातार बेहतर हो रही है. यही कारण है कि इन देशों ने इंटरनेट की रेस में बड़े देशों को भी पीछे छोड़ दिया है.


