समंदर में मिला 200 टन सोना, अब तीन देशों में शुरू हुई जंग!
स्पेनिश गैलियन सैन जोस एक विशाल जहाज था जो 1708 में कोलंबिया तट के पास ब्रिटिश नौसेना द्वारा डुबो दिया गया. इसमें 200 टन सोना, चांदी और जवाहरात थे. इसकी कीमत आज करीब 1.75 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है. यह खजाना अब विवाद का कारण है.

समंदर की गहराइयों में छिपा 317 साल पुराना रहस्य अब सामने आ चुका है. एक अंडरवाटर ड्रोन ने हाल ही में उस स्पेनिश गैलियन जहाज 'सैन जोस' का पता लगाया है, जो 1708 में डूब गया था. यह खोज कोलंबिया के कार्टाजेना तट से दूर बारू द्वीप के पास हुई है. सैन जोस को दुनिया का सबसे कीमती डूबा जहाज माना जाता है क्योंकि इसमें 200 टन सोना, चांदी और हीरे-जवाहरात लदे हुए थे.
खजाने का बाजार मूल्य लगभग 16 बिलियन अमेरिकी डॉलर, यानी भारतीय मुद्रा में करीब 1.75 लाख करोड़ रुपए आंका गया है. इस जहाज में लीमा मिंट के 1707 के सोने के सिक्के, चीनी मिट्टी के बर्तन, और 1665 की कांस्य तोपें भी मिली हैं. हर एक सिक्के का वजन लगभग 27 ग्राम बताया जा रहा है. यह खजाना उस समय पेरू से स्पेन ले जाया जा रहा था, जिसका उद्देश्य स्पेन के उत्तराधिकार को लेकर चल रहे युद्ध में धन जुटाना था. लेकिन ब्रिटेन की नौसेना ने सैन जोस को रास्ते में ही डुबो दिया था.
कई देशों और कंपनियों के बीच दावेदारी
अब जब यह ऐतिहासिक खोज सामने आई है, तो इसपर अंतरराष्ट्रीय विवाद भी शुरू हो गया है. स्पेन, पेरू, और कोलंबिया जैसे देशों के साथ-साथ ग्लोका मोरा और समुद्री खोज कंपनी आर्मडा जैसी निजी संस्थाएं भी इस खजाने पर अपना हक जता रही हैं.
- ग्लोका मोरा का कहना है कि उसने 1981 में ही जहाज की लोकेशन का पता लगा लिया था.
- वहीं, आर्मडा कंपनी ने इस खजाने के 50% हिस्से की कानूनी मांग की है.
- कोलंबियाई सरकार ने 2020 में एक कानून पारित कर इस जहाज पर पूर्ण दावा जताया है.
- दूसरी ओर, स्पेन की सरकार का तर्क है कि चूंकि जहाज स्पेन जा रहा था, इसलिए उसका मालिकाना हक स्पेन को ही है.
कानूनी लड़ाई का संकेत
इस खजाने की खोज से जितनी खुशी मिली है, उससे कहीं ज़्यादा अब कानूनी और राजनयिक टकराव की आशंका बन गई है. इतिहास, राजनीति और अरबों की दौलत का यह मिश्रण आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक बड़ा मुद्दा बन सकता है. अब देखने वाली बात होगी कि इस अद्भुत खजाने का असली मालिक कौन बनता है.


