गिद्ध के घोंसले से निकला 750 साल पुराना जूता, इतिहासकारों की आंखें खुलीं...वैज्ञानिक भी रह गए हैरान
Old shoe in vulture Nest : दक्षिणी स्पेन में गिद्धों के घोंसलों का अध्ययन करते समय वैज्ञानिकों को 750 साल पुरानी इंसानी जूता मिला, जिससे पता चला कि ये पक्षी घोंसले में मानव वस्तुएं लाते रहे हैं. सूखे और ठंडे माहौल में ये वस्तुएं सदियों तक सुरक्षित रहीं. यह खोज न सिर्फ पक्षियों के व्यवहार को दर्शाती है, बल्कि मानव इतिहास को समझने का भी एक अनोखा जरिया बन गई है.

Old shoe in vulture Nest : दक्षिणी स्पेन की खड़ी चट्टानों पर, गिद्धों के घोंसलों का अध्ययन कर रहे वैज्ञानिकों की टीम के लिए सब कुछ सामान्य ही लग रहा था. वे बस इन पक्षियों के प्रजनन व्यवहार को समझने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन यह साधारण-सी लगने वाली खोज अचानक तब ऐतिहासिक बन गई जब एक घोंसले में लकड़ियों, हड्डियों और ऊन के बीच उन्हें एक ऐसा सामान मिला जिसका वहां कोई तुक नहीं था एक 700 साल पुरानी हाथ से बना जूता.
घोंसलों में कैसे पहुंचे इंसानी सामान?
प्राकृतिक संरक्षण की अनोखी मिसाल
इन घोंसलों की खास बात यह थी कि ये वर्षों से एक ही स्थान पर बने हुए थे चट्टानों की गुफाओं में, जहां वातावरण सूखा और ठंडा था. यही कारण है कि ये वस्तुएं, जैसे कि बास्केट के टुकड़े, चमड़े के टुकड़े, औजार और कपड़े, सदियों तक सड़ने-गलने के बजाय संरक्षित रह गए. वैज्ञानिकों ने जब इनमें से एक जूता की जांच की, तो पता चला कि वह लगभग 750 साल पुरानी थी, जबकि एक अन्य वस्तु भेड़ की खाल पर बना एक चित्र भी मध्यकालीन युग का था.
इतिहास की परतें, घोंसलों की परतों में
इस अध्ययन के प्रमुख वैज्ञानिक एंटोनी मर्गालिदा के अनुसार, गिद्ध हर साल प्रजनन के दौरान अपने पुराने घोंसलों में नई सामग्री जोड़ते हैं. इस प्रक्रिया में परत-दर-परत जमा होती जाती है, जो अपने आप में एक जीवित ऐतिहासिक अभिलेख बन जाती है. जब वैज्ञानिकों ने इन घोंसलों को एक प्रकार की पुरातात्विक साइट की तरह जांचा, तो उन्हें एक ऐसा संग्रह मिला जो न केवल पक्षियों के जीवन बल्कि उस क्षेत्र के मानव इतिहास को भी दर्शा रहा था.
पक्षी विज्ञान से पारिस्थितिकी और मानवशास्त्र तक
इस खोज का महत्व सिर्फ ऐतिहासिक नहीं, बल्कि पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण से भी बहुत बड़ा है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इन घोंसलों की परतों में संरक्षित अंडों के टुकड़े यह दिखा सकते हालांकि क्या कभी पक्षी विषैले पदार्थों के संपर्क में आए थे. वहीं लकड़ियों और ऊन के अवशेषों से उस समय की वनस्पति और पशुपालन की जानकारी मिल सकती है. यह शोध इस बात का भी प्रमाण है कि वन्यजीवों और मानव समाज के बीच कितनी गहराई से अंतर्संबंध मौजूद हैं.
पक्षियों की आदतें, कुछ नई नहीं हैं
यह पहली बार नहीं है जब पक्षियों के घोंसलों में इंसानी वस्तुएं मिली हों. दुनियाभर में कई पक्षी प्रजातियां अपने घोंसलों में आसानी से मिलने वाली वस्तुएं चाहे वे प्राकृतिक हों या कृत्रिम का उपयोग करती हैं. अमेरिका की जीवविज्ञानी ट्रिशिया मिलर, जो इस अध्ययन का हिस्सा नहीं थीं, ने बताया कि उन्होंने भी कई घोंसलों में अजीबो-गरीब वस्तुएं देखी हैं, जैसे कि ओस्प्रे के घोंसले में एक ‘क्रॉक’ जूता.
प्रकृति में छिपे इतिहास के अभिलेख
यह खोज इस बात का प्रमाण है कि इतिहास सिर्फ पुस्तकों, इमारतों या संग्रहालयों में नहीं छुपा होता कभी-कभी वह हमें वहां मिल जाता है जहां हम least expect करते हैं. गिद्धों के इन पुराने घोंसलों ने, अनजाने में ही, सदियों पुरानी मानव उपस्थिति को संरक्षित कर रखा है. वे अब न केवल जीव विज्ञान का हिस्सा हैं, बल्कि इतिहास के ऐसे चुपचाप संरक्षित अभिलेख बन चुके है जो हमें समय के साथ बदलती प्रकृति और संस्कृति दोनों की कहानी सुनाते हैं.
हर परत में एक नई कहानी छुपी
जो खोज एक सामान्य वाइल्डलाइफ स्टडी के रूप में शुरू हुई थी, वह अब प्रकृति और इतिहास के बीच एक नई कड़ी के रूप में सामने आई है. गिद्धों के ये घोंसले अब समय के अनजाने संग्रहालय बन गए हैं जहां हर परत में एक नई कहानी छुपी है, जो प्रकृति और मानव जीवन दोनों को जोड़ती है. यह अनुसंधान इस बात की याद दिलाता है कि कभी-कभी सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक खोजें उन जगहों पर मिलती हैं, जिन पर हम शायद ही ध्यान देते हैं.


