पति से तलाक के बाद साध्वी बनीं भगवती सरस्वती, जानिए उनका प्रेरणादायक सफर
महाकुंभ में साध्वी भगवती सरस्वती का जीवन संघर्ष और आध्यात्मिकता का अद्वितीय उदाहरण है. अमेरिका से आई और यौन उत्पीड़न का सामना करने वाली साध्वी ने भारत आकर स्वामी चिदानंद सरस्वती से दीक्षा ली और हिंदू धर्म अपनाया. अब वो परमार्थ निकेतन आश्रम की सदस्य हैं और समाजसेवा, शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान दे रही हैं.

महाकुंभ में करीब डेढ़ महीने से बड़ी संख्या में लोग आस्था की डुबकी लगाने के लिए और श्रद्धा के साथ पहुंचे. उनमें से कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने समाज और धर्म के प्रति अपनी पूरी निष्ठा और समर्पण दिखाया है. जिसमें से एक नाम साध्वी भगवती सरस्वती का है, जो परमार्थ निकेतन आश्रम से जुड़ी हुई हैं. उनके जीवन की बात करें तो, उनके आध्यात्मिक सफर से जुड़ी कहानी ना केवल सनातन धर्म को मानने वालों के लिए प्रेरणादायक है, बल्कि दुनियाभर को संदेश भी देती है.
साध्वी भगवती सरस्वती का जीवन
साध्वी भगवती सरस्वती का जन्म अमेरिका में हुआ था, जहां उनका पालन-पोषण एक यहूदी परिवार में हुआ था. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन करने के बाद, 1996 में उन्होंने भारत आने का फैसला लिया और यहीं आकर उनके जीवन ने एक नया मोड़ लिया. साध्वी भगवती सरस्वती की किताब 'हॉलीवुड टू हिमालयाज' में वह अपने जीवन के कष्टों को साझा करती हैं. बचपन में यौन उत्पीड़न और जीवन की कठिन परिस्थितियों का सामना करने के बाद, उन्होंने अपने जीवन को एक नई दिशा देने का फैसला लिया.
संघर्ष से आध्यात्म की ओर...
साध्वी भगवती सरस्वती की ज़िंदगी में मोड़ तब आया जब उन्होंने अपनी शादी तोड़ी और भारत में आध्यात्मिक मार्ग की ओर बढ़ने लगीं. भारत में आकर उन्होंने स्वामी चिदानंद सरस्वती से दीक्षा ली और हिंदू धर्म की शिक्षाओं को भी अपनाया. उन्होंने अपने जीवन के उद्देश्य को पाया और अब वह परमार्थ निकेतन आश्रम की सदस्य हैं, जहां वह अपना ज्यादातर समय बिताती हैं.
समाजसेवा और शिक्षा में योगदान
साध्वी भगवती सरस्वती ने समाजसेवा में भी अपना योगदान दिया है. वो 'इंसीक्लोपीडिया ऑफ हिंदुत्व' की रचनाकारों की टीम का हिस्सा रही, जिसमें हिंदू धर्म के कई पहलुओं को 11 वॉल्यूम्स में शामिल किया गया. इसके अलावा, वो 'डिवाइन शक्ति फाउंडेशन' की अध्यक्ष हैं, जो कई स्कूलों और वोकेशनल ट्रेनिंग प्रोग्राम्स का संचालन करती है.


