रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करते-करते क्रैक किया UPSC एग्जाम, जानिए कैसे पूरा हुआ IAS बनने का सपना
रेलवे स्टेशन पर फ्री वाई-फाई की मदद से की पढ़ाई और बेटी को बेहतर संसाधन मुहैया कराने की तमन्ना ने एक कुली को बना दिया IAS. केरल के मुन्नार निवासी श्रीनाथ के ने रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करते हुए यूपीएससी का एग्जाम पास किया और एक मिसाल कायम की. आईएएस श्रीनाथ आज लाखों विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा हैं.

मोबाइल आज के दौर में हर किसी की जरूरत बन गए हैं. कोई इसका सही इस्तेमाल कर दुनिया में नाम कमा रहा है, तो कोई इसका दुरुपयोग कर अपने किस्मत को दोष दे रहा है. सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव ने मोबाइल की जरूरत को और बढ़ा दिया है. बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सभी सोशल मीडिया के दीवाने हुए जा रहे हैं. कहा जाता है कि फोन की वजह से बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पा रही, वह सारा दिन फोन में गेम खेलने और अन्य तरह की एक्टविटी में बिजी रहते हैं. लेकिन अगर मोबाइल फोन का सही इस्तेमाल किया जाए तो न सिर्फ बच्चों को, बल्कि बड़ों को भी किसी अच्छे काम में मदद कर सकता है.
इस बात को सच साबित किया है एक कुली ने, जिसने सिर्फ अपने मोबाइल फोन की मदद से UPSC सिविल सर्विसेज परीक्षा पास की. यह उसकी किताबें, उसका सिलेबस, उसकी स्टडी मटेरियल और उसके प्रैक्टिस पेपर्स थे जो उसे उसकी मंजिल तक लेकर गए. आइए जानते हैं आईएएस श्रीनाथ के की सफलता की कहानी, जो यकीनन सत्य होने के बावजूद अविश्वसनीय है.
जानिए कौन हैं आईएएस श्रीनाथ के
श्रीनाथ के. केरल के मुन्नार के निवासी हैं और उन्होंने एर्नाकुलम में एक कुली के तौर पर काम किया था. वह एक मिडल क्लास परिवार से आते हैं और रेलवे स्टेशन पर एक अधिकृत कुली के रूप में काम करते थे. अपने परिवार के लिए वह एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे. 27 साल की उम्र में 2018 में उन्होंने महसूस किया कि कुली का काम परिवार के लिए पर्याप्त आय नहीं दे पा रहा था. उस समय उनकी एक साल की बेटी थी, जिसे वह अपनी जिंदगी की कठिनाइयों से बचाना चाहते थे. वह चाहते थे कि उसकी बचपन की जिंदगी बेहतर हो, इसलिए उन्होंने एक बेहतर रास्ता अपनाने का फैसला किया.
पैसे के लिए की नाइट शिफ्ट
श्रीनाथ ने अपनी आय बढ़ाने के लिए रात की शिफ्ट शुरू की, जिससे उनकी दैनिक आय 400-500 रुपये से अधिक हो गई. लेकिन जब भी वह इससे संतुष्ट नहीं हो पाए, तो उनके मन में UPSC सिविल सर्विसेज की तैयारी करने का ख्याल आया. उनके पास कोचिंग या ट्यूशन के लिए पैसे नहीं थे, लेकिन उन्होंने जो भी साधन उपलब्ध थे, उनका इस्तेमाल करने का फैसला किया और सिविल सर्वेंट बनने का अपना सपना नहीं छोड़ा.
इस तरह मोबाइल से की तैयारी
2016 में सरकार ने फ्री WiFi की सुविधा शुरू की थी, तो श्रीनाथ ने इसका लाभ उठाने का निर्णय लिया. उनके पास एक मोबाइल फोन था और मुफ्त वाईफाई कनेक्शन था, जिसने उन्हें सपना देखने और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का हौसला दिया, जिसमें उनकी मदद की देश को डिजिटल बनाने के अभियान डिजिटल इंडिया ने. इस अभियान के तहत शुरुआत में कई बड़े रेलवे स्टेशनों को फ्री वाई-फाई सेवा से लेस किया गया था. इसका फायदा उठाते हुए, उस समय के कुली और वर्तमान में हजारों युवाओं के आइडियल आईएएस श्रीनाथ ने स्मार्ट फोन के जरिए पढ़ना शुरू किया.
फ्री वाई-फाई की मदद से श्रीनाथ रेलवे स्टेशन पर काम करते हुए ऑनलाइन लेक्चर सुनते थे. KPSC में पास होने के बाद चौथे प्रयास में उन्होंने यूपीएससी की भी परीक्षा पास कर ली. आईएएस श्रीनाथ आज उन लाखों विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा हैं, जो कुछ असफल प्रयासों के बाद निराश महसूस करते हैं. इनकी सफलता की कहानी बताती है कि कोई भी परेशानी आपकी तरक्की में बाधा नहीं बन सकती. बस कुछ कर गुजरने का साहस होना जरुरी है.


