वो मंदिर जो सरहद पर कर रहे देश की रक्षा, जानिए इनकी अनकही दास्तान

Border temples India: भारत की सीमाओं पर जहां एक ओर जवानों की निगरानी है, वहीं कुछ मंदिर भी चुपचाप सुरक्षा की भावना को मजबूत कर रहे हैं. ये मंदिर न सिर्फ धार्मिक आस्था के केन्द्र हैं, बल्कि इनसे जुड़ी लोककथाएं और चमत्कार आज भी लोगों को विश्वास और साहस से भर देते हैं.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

Border temples India: जब भी हम भारत की सीमाओं की बात करते हैं, तो हमारी कल्पना में कंटीले तार, फौजी चौकियां और टैंक आ जाते हैं. लेकिन इन पहाड़ियों, घाटियों और रेगिस्तानों में कुछ ऐसे मंदिर भी हैं जो सिर्फ आध्यात्मिक आस्था का नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा भावना का भी प्रतीक हैं. ये मंदिर कुछ प्राचीन न केवल सीमाओं पर बसे लोगों का संबल हैं, बल्कि हमारे सैनिकों के लिए एक आध्यात्मिक कवच का काम भी करते हैं.

आज जब पूरा देश अपने सैनिकों के साथ खड़ा है, तब इन सीमावर्ती मंदिरों की कहानियाँ और भी महत्वपूर्ण हो जाती हैं. ये न सिर्फ धार्मिक स्थलों के रूप में पूजे जाते हैं, बल्कि इनकी पौराणिक और ऐतिहासिक मान्यताएँ यह विश्वास दिलाती हैं कि राष्ट्र की सीमाओं की रक्षा सिर्फ हथियारों से नहीं, बल्कि आस्था और विश्वास से भी होती है. आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही मंदिरों के बारे में, जो चुपचाप हमारी सीमाओं की निगरानी कर रहे हैं.

बाबा हरभजन सिंह मंदिर, नाथुला, सिक्किम

13,000 फीट की ऊंचाई पर, भारत-चीन सीमा के पास स्थित यह मंदिर किसी देवी-देवता को नहीं, बल्कि एक सैनिक को समर्पित है—कैप्टन हरभजन सिंह. ऐसा कहा जाता है कि उनकी आत्मा आज भी इस दुर्गम इलाके की निगरानी करती है. हरभजन बाबा की कहानी 1968 में शुरू होती है जब वह गश्त के दौरान लापता हो गए. बाद में, उनके साथियों ने बताया कि बाबा ने सपनों में आकर उन्हें सचेत किया. इसके बाद उनके सम्मान में यह स्मारक 1983 में त्सोमगो झील (चांगू झील) के पास बनाया गया. सैनिक आज भी उनके लिए हर दिन बिस्तर और यूनिफॉर्म तैयार रखते हैं और उनकी उपस्थिति को एक संरक्षक के रूप में स्वीकारते हैं.

तनोट माता मंदिर, जैसलमेर, राजस्थान

भारत-पाकिस्तान सीमा के निकट थार रेगिस्तान में स्थित यह मंदिर न सिर्फ धार्मिक आस्था का केन्द्र है, बल्कि एक ऐतिहासिक चमत्कार का भी गवाह है. 828 ईस्वी में भाटी राजपूत राजा तनु राव द्वारा निर्मित यह मंदिर 1965 के भारत-पाक युद्ध में चर्चा में आया. उस समय पाकिस्तान की सेना ने मंदिर पर 3,000 से अधिक बम गिराए, लेकिन एक भी बम फटा नहीं. सैनिकों ने इसे माता तनोट की कृपा माना. आज यह मंदिर बीएसएफ द्वारा संरक्षित है और लाखों श्रद्धालुओं के साथ-साथ देशभक्त पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है.

मंगला माता मंदिर, नौशेरा, जम्मू

राजौरी जिले के नौशेरा-जंघार मार्ग पर स्थित यह मंदिर एक गुफा के भीतर है, जिसकी लंबाई लगभग 9 मीटर है. 1945 में बना यह मंदिर स्थानीय कहानियों के अनुसार, देवी मंगला के स्वप्नदर्शन के बाद स्थापित हुआ था. 1947 से अब तक कई बार सीमा पार से गोलाबारी हुई, लेकिन इस मंदिर को कभी क्षति नहीं पहुंची. गुफा के भीतर मौजूद प्राकृतिक चट्टानों की संरचनाएं, जिन्हें पिंडी कहा जाता है, देवी मंगला के रूप मानी जाती हैं. यह मंदिर न सिर्फ श्रद्धा का केन्द्र है, बल्कि सीमावर्ती क्षेत्र में आस्था का एक अडिग स्तम्भ भी है.

पठार नाथ बाबा मंदिर, कारगिल, लद्दाख

कारगिल जैसे संवेदनशील क्षेत्र में जहां हर पल खतरे की आशंका रहती है, वहां स्थित पठार नाथ बाबा मंदिर सैनिकों के लिए आध्यात्मिक शरणस्थली है. किंवदंती है कि यहां एक बाबा तपस्या में लीन रहते थे और उनके साथ हमेशा उनके दो कुत्ते होते थे. युद्ध के दौरान जब गोले बरस रहे थे, तो बाबा जिस स्थान पर ध्यान में लीन थे, वहां कोई बम नहीं फटा. यह भी माना जाता है कि बाबा ने बमों को उठाकर सुरु नदी में फेंका, जहां वे विस्फोट के साथ समाप्त हो गए. बाबा के रहस्यमय अंत के बाद यहां एक मंदिर की स्थापना हुई, जहां अब भगवान शिव की पूजा होती है. भारतीय सेना इस स्थान को विशेष श्रद्धा के साथ देखती है.

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09 May 2025, 11:12 AM IST

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