80 की उम्र में भी 'पापा' बन रहें यहां के मर्द, फिटनेस का राज जानकर रह जाएंगे दंग
जब दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में पुरुषों की प्रजनन क्षमता 50 की उम्र के बाद धीमी पड़ने लगती है, वहीं अफ्रीका के एक खास इलाके में रहने वाले मर्द 80 साल की उम्र में भी आसानी से बच्चे पैदा कर रहे हैं. तंजानिया और केन्या की सीमा पर बसे इन जनजातीय समुदायों की ताकत का राज उनकी अनोखी डाइट और पारंपरिक जीवनशैली में छिपा है, जो उन्हें बूढ़ा नहीं होने देती.

दुनिया में जहां उम्र बढ़ने के साथ मर्दों की प्रजनन क्षमता घटती है, वहीं पूर्वी अफ्रीका की एक जनजाति के पुरुष 80 साल की उम्र में भी बच्चे पैदा करने में सक्षम हैं. तंजानिया और केन्या की सीमाओं पर रहने वाली इन पारंपरिक जनजातियों की जीवनशैली और खानपान की आदतें आधुनिक दुनिया से बिल्कुल अलग हैं. खास बात यह है कि इनकी डाइट इतनी ताकतवर है कि इनके पुरुष वृद्धावस्था में भी जबरदस्त स्टेमिना बनाए रखते हैं और 10 से ज्यादा बच्चों का पिता बनना इनके लिए कोई असामान्य बात नहीं है.
इनकी यह क्षमता सिर्फ खानपान ही नहीं, बल्कि उनके पारंपरिक रहन-सहन, नियमों और प्राकृतिक जीवनशैली की देन मानी जाती है. आइए जानते हैं कौन-सी हैं ये जनजातियां और क्या है उनकी अनोखी ताकत का राज.
तंजानिया की ताकतवर जनजातियां
तंजानिया में मुख्य रूप से तीन प्रमुख जनजातियां रहती हैं – मसाई, माकोन्डे और मनाती. ये हजारों साल से अपने पारंपरिक जीवन के तरीके को बनाए हुए हैं. आधुनिकता और शहरी जीवनशैली से दूर ये समुदाय जंगलों, पहाड़ों और खुले मैदानों में रहते हैं. इन जनजातियों का मुख्य पेशा है पशुपालन, खासकर गायों का पालन. इनके जीवन का आधार दूध, मांस और जानवरों से मिलने वाला हर संसाधन होता है.
डाइट है असली ताकत का राज
इन जनजातियों की सबसे अनोखी बात है इनका भोजन, जो इन्हें बाकी दुनिया से अलग बनाता है. जहां आम लोग दिन की शुरुआत चाय या कॉफी से करते हैं, वहीं मसाई और माकोन्डे जनजाति के लोग ताजा जानवरों का गर्म खून पीकर दिन की शुरुआत करते हैं. यह खून उनका प्रमुख ऊर्जा स्रोत होता है, जो न सिर्फ इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है, बल्कि शरीर को लंबे समय तक एक्टिव बनाए रखता है.
शिकार और कच्चा मांस
इन लोगों की डाइट में शामिल होता है, शिकार किया गया ताजा मांस, जिसे वे बिना ज्यादा पकाए खाते हैं. यह मांस भरपूर प्रोटीन और आवश्यक विटामिन्स से भरपूर होता है, जो शरीर को मजबूत और सहनशील बनाता है. डेली डाइट में कोई प्रोसेस्ड फूड नहीं होता, और यही वजह है कि इनका शरीर अंदर से भी ताकतवर बना रहता है.
जानवरों के खून से हैंगओवर तक का इलाज
यहां के लोग मानते हैं कि जानवरों का ताजा खून इम्यून सिस्टम को मजबूती देने के साथ-साथ हैंगओवर भी खत्म करता है. यही कारण है कि यह खून उनकी दिनचर्या का अहम हिस्सा होता है. बिस्तर से लेकर कपड़ों तक, सब कुछ प्राकृतिक होता है. जानवरों की खालें इनके सोने के लिए बिछौने का काम करती हैं.
महिलाओं की संस्कृति भी अनोखी
यहां की महिलाएं भी अपनी संस्कृति को पूरी तरह अपनाए रखती हैं. कमर के नीचे कपड़ा पहनना, जबकि ऊपरी शरीर खुला छोड़ना यहां आम है. सबसे अनोखी परंपरा यह है कि महिलाएं जब अपनी सहेलियों से मिलती हैं तो उन पर थूकती हैं, जिसे सम्मान और प्रेम का प्रतीक माना जाता है. यहां तक कि नवजात बच्चों को भी थूककर आशीर्वाद दिया जाता है.
दुनिया को हैरान कर देने वाली फर्टिलिटी
जहां आमतौर पर पुरुषों में 50 की उम्र के बाद फर्टिलिटी घटती है, वहीं यहां के पुरुष 80 की उम्र तक 10 या उससे अधिक बच्चों के पिता बनते हैं. इसका श्रेय सिर्फ उनके शरीर की ताकत को नहीं, बल्कि उस जीवनशैली को जाता है जो प्राकृतिक, शुद्ध और पूरी तरह से संतुलित है.


