भारत की चाल से हिला वॉशिंगटन, बेचैन हुआ बीजिंग! करंट अकाउंट सरप्लस से चौंकी दुनिया
भारत के सेंट्रल बैंक आरबीआई ने एक ऐसा करंट अकाउंट सरप्लस डाटा जारी किया है, जिसने अमेरिका और चीन दोनों को चौंका दिया है. भारत की चाल से अमेरिका की टैरिफ नीति फेल होती दिख रही है, जबकि चीन भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत से बेचैन नजर आ रहा है.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जब भारत को “टैरिफ किंग” कहा था, तब उन्होंने शायद यह उम्मीद नहीं की थी कि भारत उनकी टैरिफ नीतियों के बावजूद व्यापार के मोर्चे पर मजबूती से उभरेगा. लेकिन अब भारत के हालिया चालू खाता सरप्लस (Current Account Surplus) ने दुनिया को चौंका दिया है. एक ओर जहां अमेरिका भारत के निर्यात को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा था, वहीं दूसरी ओर भारत ने न केवल निर्यात बढ़ाया, बल्कि आयात घटाकर वैश्विक आर्थिक संकट में खुद को स्थिर बनाए रखा.
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी-मार्च 2025 की तिमाही में भारत ने 13.5 अरब डॉलर का चालू खाता सरप्लस दर्ज किया है, जो देश की जीडीपी का 1.3% है. पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा महज 4.6 अरब डॉलर था. यानी सालभर में इसमें तीन गुना की बढ़ोतरी दर्ज हुई है. इस बढ़त के पीछे प्रमुख कारण सेवा क्षेत्र के निर्यात में तेजी और प्रवासी भारतीयों द्वारा भेजे गए धन में इजाफा रहा है.
निर्यात में तेजी, आयात में गिरावट
भारत की शुद्ध सेवा प्राप्तियां 2024-25 की चौथी तिमाही में बढ़कर 53.3 अरब डॉलर पहुंच गईं, जो पिछले साल 42.7 अरब डॉलर थीं. कंप्यूटर और व्यावसायिक सेवाओं जैसे क्षेत्रों में निर्यात में खासा उछाल देखा गया. वहीं, व्यक्तिगत अंतरण यानी प्रवासी भारतीयों द्वारा भेजा गया धन भी बढ़कर 33.9 अरब डॉलर हो गया है.
चीन की बढ़ी बेचैनी
भारत के मजबूत आर्थिक प्रदर्शन से चीन भी चिंतित है, क्योंकि पहले जो विदेशी निवेश और फैक्ट्रियां चीन का रुख करती थीं, अब वे भारत की ओर झुक रही हैं. भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का नया केंद्र बनने की दिशा में बढ़ रहा है, और यह बदलाव चीन के लिए रणनीतिक सिरदर्द बन सकता है.
FDI और FPI में उतार-चढ़ाव
हालांकि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में कुछ गिरावट दर्ज की गई. मार्च तिमाही में FDI मात्र 40 करोड़ डॉलर रहा, जबकि पिछले वर्ष यही आंकड़ा 2.3 अरब डॉलर था. वहीं FPI की निकासी 5.9 अरब डॉलर रही. इसके बावजूद, भारत का कुल भुगतान संतुलन मजबूत बना रहा.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
रेटिंग एजेंसी ICRA की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर का कहना है कि चौथी तिमाही में चालू खाता सरप्लस सीजनल रूप से अनुमानित था, लेकिन इसका आकार उम्मीद से बड़ा रहा. हालांकि, वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में व्यापार घाटा बढ़ सकता है और सेवा व्यापार अधिशेष में कमी आ सकती है.


