मोटापे और कैंसर से बचाव के लिए किसान कर रहे इस सब्जी की खेती, कमा रहे अच्छा मुनाफा
ब्रोकोली पूरी तरह से हरी सब्जी है। इसका इस्तेमाल ज्यादातर सूप, सलाद और जंक फूड में किया जाता है, लेकिन अगर आप यह सब्जी नहीं खाते हैं, तो इसे अपने दैनिक आहार में जरूर शामिल करें। विशेषकर मधुमेह रोगियों के लिए ब्रोकोली का सेवन उनके रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रण में रखता है। इसमें कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो कैंसर की संभावना को भी कम कर सकते हैं।

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में किसान अब सब्जियों की खेती कर रहे हैं। इस खेती में किसान विभिन्न प्रकार की सब्जियों की खेती करते नजर आते हैं। जहां सब्जी की खेती में भी किसानों को अच्छा मुनाफा मिल रहा है। इन सब्जियों के बीच कुछ किसानों ने ब्रोकली की खेती भी शुरू कर दी है। इस खेती से किसान बंपर मुनाफा कमा रहे हैं।
एक बीघा फसल पैदा करने में मात्र 12,000 रुपये का आता खर्च
लखीमपुर के प्रगतिशील किसान आंचल मिश्रा ने बताया कि उन्होंने एक बीघा में ब्रोकली की खेती की है। एक बीघा फसल पैदा करने में मात्र 12,000 रुपये का खर्च आता है। इससे अकेले एक सीजन में 25,000 रुपये की आय होती है। किसान ने बताया कि ब्रोकली की सब्जी 110 दिन में तैयार हो जाती है। पौधे पहले 80-90 दिनों तक बढ़ते हैं, फिर ब्रोकोली फल देना शुरू कर देती है। किसान ने बताया कि ब्रोकली की जैविक खेती पारंपरिक खेती से अधिक लाभदायक साबित होती है, क्योंकि वैज्ञानिक तरीकों से उत्पादन अधिक होता है और फसल की गुणवत्ता भी बेहतर होती है।
अक्टूबर-नवंबर में तैयार की जाती नर्सरी
किसान ने बताया कि ब्रोकली की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं और बाजार में ब्रोकली की मांग अन्य गोभी की तुलना में अधिक है। ब्रोकोली का उपयोग सूप, सलाद आदि में किया जाता है। ब्रोकोली उगाने का सबसे अच्छा समय सितंबर के अंतिम सप्ताह से मार्च के पहले सप्ताह तक है। इसकी नर्सरी अक्टूबर-नवंबर में तैयार की जाती है। ब्रोकोली के पौधे रोपने के बाद हल्की सिंचाई करनी चाहिए, जिससे पौधों को जीवन मिलता है।