ज्ञानेश कुमार ने संभाला नए चुनाव आयुक्त का पदभार, लोकसभा चुनाव 2029 पहले होंगे रिटायर, 370 हटाने में निभा चुके हैं अहम रोल
सीईसी ज्ञानेश कुमार अपने कार्यकाल में करीब 22 विधानसभा चुनाव होंगे, जिनकी शुरुआत इस साल के अंत में बिहार से होगी. इसके साथ ही 2027 में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव भी होंगे. वह अगले लोकसभा चुनावों की घोषणा से लगभग डेढ़ महीने पहले 26 जनवरी 2029 को रिटायर होंगे.

चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त का पदभार संभाल लिया है. कार्यभार संभालने के बाद नवनियुक्त मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, "राष्ट्र निर्माण की पहली सीढ़ी मतदान है. इसलिए भारत का हर नागरिक जो 18 वर्ष की उम्र पूरी कर चुका है, उसे मतदाता बनना चाहिए और हमेशा मतदान करना चाहिए. भारत के संविधान, चुनावी कानूनों, नियमों और उसमें जारी निर्देशों के मुताबिक भारत का चुनाव आयोग मतदाताओं के साथ था है और हमेशा रहेगा."
लोकसभा चुनाव 2029 से पहले होंगे रिटायर
सीईसी ज्ञानेश कुमार के कार्यकाल में करीब 22 विधानसभा चुनाव होंगे, जिनकी शुरुआत इस साल के अंत में बिहार से होगी. इसके साथ ही 2027 में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव भी होंगे. वह अगले लोकसभा चुनावों की घोषणा से लगभग डेढ़ महीने पहले 26 जनवरी 2029 को रिटायर होंगे.
राष्ट्रपति ने दी मंजूरी
विवादों के बीच राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार शाम 1988 बैच के केरल कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी कुमार को देश का 26वां मुख्य चुनाव आयुक्त और 1989 बैच के हरियाणा कैडर के आईएएस अधिकारी विवेक जोशी को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया.
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति की बैठक के कुछ घंटों बाद ये नियुक्तियां की गईं. बैठक में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सरकार से कहा कि नई चयन प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक नियुक्ति को स्थगित कर दिया जाए. राहुल गांधी ने पैनल को एक असहमति नोट भी सौंपा, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हैं.
सुप्रीम कोर्ट में जारी है सुनवाई
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर सुनवाई चल रही है. शीर्ष अदालत में नए कानून को लेकर बहस जारी है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ को एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने याचिका दायर की है,जिसमें कहा गया है कि सरकार ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) को चयन प्रक्रिया से बाहर रखा है, जबकि 2023 के संविधान पीठ के फैसले में सीजेआई को शामिल करना अनिवार्य किया गया है.
सोशल मीडिया 'एक्स' पर असहमति जताते हुए गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री द्वारा नए सीईसी के चयन का आधी रात को फैसला लेना 'अपमानजनक\ और “अशिष्टतापूर्ण” था, जबकि चयन की प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा रही थी. गांधी ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करके और सीजेआई को समिति से हटाकर, मोदी सरकार ने हमारी चुनावी प्रक्रिया की अखंडता पर करोड़ों मतदाताओं की चिंताओं को बढ़ा दिया है.”
धर्मेंद्र प्रधान ने किया पलटवार
इसके जवाब में भाजपा नेताओं ने कांग्रेस पर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों को पद्म पुरस्कार देने, 1996 में कांग्रेस के टिकट पर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन को चुनाव मैदान में उतारने और एमएस गिल को राज्यसभा में शामिल कर मंत्री बनाने का आरोप लगाया.
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक्स पर एक पोस्ट में पूछा, "क्या राहुल गांधी भूल गए हैं कि कांग्रेस के शासन में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति कैसे की जाती थी? दशकों तक सत्ता में रहने के बावजूद कांग्रेस सरकारों ने चयन तंत्र में सुधार के लिए कुछ क्यों नहीं किया?"
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था फैसला
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 12 फरवरी को 2023 के कानून के तहत नियुक्तियों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 19 फरवरी की तारीख तय की थी और कहा था कि अगर इस बीच कुछ भी होता है, तो उसके परिणाम भुगतने होंगे.
15 मार्च 2024 को शीर्ष अदालत ने नए कानून के तहत नए चुनाव आयुक्त की नियुक्तियों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, जिसे संसद ने 2023 के अंत में अधिनियमित किया था, जिसमें चयन पैनल से सीजेआई को बाहर रखा गया था. शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं को बताया कि उसके 2 मार्च 2023 के फैसले में पीएम, एलओपी और सीजेआई वाले तीन सदस्यीय पैनल को संसद द्वारा कानून बनाए जाने तक काम करने का निर्देश दिया गया था.
नए कानून के तहत ज्ञानेश कुमार की पहली नियुक्ति
कुमार इस नए कानून के तहत नियुक्त किए गए पहले सीईसी हैं. 2024 में, कुमार और सुखबीर संधू को पीएम की अध्यक्षता वाले चयन पैनल द्वारा ईसी के रूप में अनुशंसित किया गया था. कानून के अनुसार, एक सीईसी या ईसी 65 वर्ष की आयु में या चुनाव आयोग में छह साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद सेवानिवृत्त होता है.
370 हटाने वाली टीम का हिस्सा थे ज्ञानेश कुमार
बुधवार को मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में पदभार ग्रहण करने वाले ज्ञानेश कुमार जनवरी 2024 में सहकारिता मंत्रालय में सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए और बाद में मार्च में उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया. केंद्रीय गृह मंत्रालय में एक वरिष्ठ अधिकारी के रूप में, वे उस टीम का हिस्सा थे, जब सरकार ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त किया था. उन्होंने राम मंदिर मामले पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर नजर रखी और राम मंदिर ट्रस्ट के पीछे की टीम का हिस्सा थे.
कौन हैं ज्ञानेश कुमार?
ज्ञानेश कुमार ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक किया है. उन्होंने आईसीएफएआई, भारत में बिजनेस फाइनेंस के साथ-साथ हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, यूएस में पर्यावरण अर्थशास्त्र का स्टडी की है. केरल में वे एर्नाकुलम के सहायक कलेक्टर, अदूर के उप-कलेक्टर, एससी/एसटी के लिए केरल राज्य विकास निगम के प्रबंध निदेशक और कोचीन निगम के नगर आयुक्त थे. केरल सरकार के सचिव के रूप में, उन्होंने वित्त संसाधन, फास्ट-ट्रैक परियोजनाओं और सार्वजनिक कार्यों जैसे प्रमुख विभागों को संभाला.


