भारत का शेयर बाजार चौथे पायदान पर, अमेरिका और चीन की बढ़ी मुश्किलें!
जापान ने एशिया के सबसे पसंदीदा शेयर बाजार का ताज हासिल कर लिया है, जबकि भारत अब चौथे स्थान पर खिसक गया है. फिर भी, भारत ने चीन को पीछे छोड़ते हुए अपनी स्थिति बरकरार रखी है, जो पांचवें पायदान पर है. बैंक ऑफ अमेरिका की ताजा रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. कभी निवेशकों की पहली पसंद रहे भारत को अब जापान ने पछाड़ दिया है.

India stock market ranking: एक समय एशिया में निवेशकों की पहली पसंद रहा भारत अब शेयर बाजार निवेश के मामले में चौथे स्थान पर खिसक गया है. बैंक ऑफ अमेरिका (BofA) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अब जापान, ताइवान और दक्षिण कोरिया के पीछे हो गया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के शेयर बाजार में पिछले कुछ महीनों से रूका हुआ देखा गया है, जिससे निवेशकों का रुझान कम हुआ है.
भारत में निवेश की सुस्ती के पीछे सबसे बड़ी वजह निफ्टी का सीमित दायरे में फंसा रहना और आईटी सेक्टर की गिरावट बताई जा रही है. वहीं जापान, ताइवान और दक्षिण कोरिया को सेमीकंडक्टर और बैंकिंग सेक्टर में मजबूती के चलते निवेशकों का समर्थन मिल रहा है.
Bofa की रिपोर्ट में क्या कहा गया?
बैंक ऑफ अमेरिका की रिपोर्ट के अनुसार, एशिया पैसिफिक क्षेत्र में भारत अब चौथे नंबर का निवेश गंतव्य बन गया है.
-
जापान पहले स्थान पर है,
-
उसके बाद ताइवान,
-
फिर दक्षिण कोरिया है.
-
भारत के बाद चीन, ऑस्ट्रेलिया और थाईलैंड का नंबर आता है.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अब केवल 10% फंड मैनेजर ही भारत में निवेश बढ़ा रहे हैं, जबकि
-
जापान में 32%,
-
ताइवान में 19%
-
और दक्षिण कोरिया में 16% फंड मैनेजर ज्यादा निवेश कर रहे हैं.
भारत में गिरावट की वजहें क्या हैं?
भारत के शेयर बाजार की रैंकिंग में गिरावट का सबसे बड़ा कारण निफ्टी का दो महीनों से एक सीमित दायरे में रहना है. साथ ही, भारत का आईटी सेक्टर बीते 20 महीनों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है, जिससे विदेशी निवेशकों का विश्वास कमजोर हुआ है.
बाजार में वापसी की उम्मीद जिंदा
हालांकि रिपोर्ट में यह भी संकेत दिया गया है कि भारत का बाजार वापसी कर सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में 20% से कम टैरिफ रेट तय होता है, तो भारतीय बाजार में उछाल आ सकता है. इसके अलावा, प्राइवेट बैंकों के शेयर अभी भी आकर्षक दामों पर हैं और आगामी तिमाहियों में उनके प्रदर्शन में सुधार की उम्मीद है.
निवेशकों की चिंता क्यों घटी?
सर्वे में शामिल 70% फंड मैनेजरों का मानना है कि ट्रंप की टैरिफ नीति का एशिया की अर्थव्यवस्था पर मामूली असर पड़ेगा.
अमेरिका-भारत व्यापार समझौते में कहां है अड़चन?
इस बीच प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) के चेयरमैन एस महेंद्र देव ने कहा है कि भारत को राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हुए अमेरिका के साथ व्यापार समझौते की शर्तें तय करनी चाहिए. वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि भारत के साथ व्यापार समझौता इंडोनेशिया-अमेरिका समझौते की तर्ज पर होगा, जिसमें अमेरिका को इंडोनेशिया के बाजार में पूरी पहुंच दी गई, जबकि इंडोनेशियाई उत्पादों पर अमेरिका में 19% शुल्क लगाया गया.


