भारत में चावल की कीमतें जून 2023 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंची, सामने आई ये वजह
भारत के चावल की एक्सपोर्ट कीमतें 2023 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई हैं. इस गिरावट की वजह डिमांड में कमी और लगातार सप्लाई है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वियतनाम ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल बेचने का अग्रेसिव रुख अपनाया है और इससे अन्य देशों में कीमतों पर दबाव पड़ा है. भारत सरकार ने टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटा दिया है. सरकार ने टूटे चावल पर सितंबर 2022 में बैन लगाया गया था.

भारत के चावल की एक्सपोर्ट कीमतें 2023 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई हैं. इस गिरावट की वजह डिमांड में कमी और लगातार सप्लाई है, जबकि वियतनाम से चावल की मांग हाईलेवल पर बनी हुई है. भारत में 5 प्रतिशत टूटे हुए पारबोइल्ड किस्म की कीमत पिछले सप्ताह देखी गई 413-420 डॉलर की कीमत से गिरकर 490-415 डॉलर प्रति टन पर आ गई. रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय 5 प्रतिशत टूटे हुए सफेद चावल की कीमत इस सप्ताह 390-400 डॉलर प्रति टन पर रही.
वियतनाम के चावल की मांग
रिपोर्ट में कहा गया है कि वियतनाम ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल बेचने का अग्रेसिव रुख अपनाया है और इससे अन्य देशों में कीमतों पर दबाव पड़ा है. बुधवार को वियतनामी व्यापार मंत्रालय ने कहा कि वह बांग्लादेश को 100,000 टन सफेद चावल निर्यात करने के कॉन्ट्रेक्ट पर काम करेगा और नए और पारंपरिक दोनों बाजारों में वियतनामी चावल को बढ़ावा देगा.
रिपोर्ट में कहा गया है कि गुरुवार को वियतनाम में 5 प्रतिशत टूटे चावल की कीमत 389 डॉलर प्रति मीट्रिक टन थी, जो पिछले सप्ताह के 393 डॉलर से कम है.
भारत ने टूटे चावल के एक्सपोर्ट से हटाया बैन
भारत सरकार ने टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटा दिया है. सरकार ने टूटे चावल पर सितंबर 2022 में बैन लगाया गया था. विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने एक अधिसूचना जारी की और कहा कि टूटे चावल के निर्यात को अब 'मुक्त श्रेणी' में रखा गया है.
अन्य देशों में चावल की मांग और कीमतें
इस बीच, आयात के ज़रिए भंडार बढ़ाने के अधिकारियों के प्रयासों के बावजूद बांग्लादेश में चावल की घरेलू कीमतें बढ़ी हुई हैं. इससे उपभोक्ताओं पर दबाव बढ़ गया है. दूसरी ओर, थाईलैंड में मांग स्थिर बनी हुई है और कीमत में बदलाव मुख्य रूप से विनिमय दर पर निर्भर करेगा.


