NASA देता है करोड़ों की सैलरी, लेकिन शुभांशु शुक्ला को क्यों नहीं मिलेगी एक भी पाई?
भारतीय वायुसेना के अधिकारी शुभांशु शुक्ला को इस अंतरिक्ष मिशन के लिए कोई अतिरिक्त वेतन या भत्ता नहीं मिल रहा. उनकी सैलरी रैंक और सेवा अवधि पर आधारित है. हालांकि, भारत सरकार ने इस मिशन पर कुल 548 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जिसमें ट्रेनिंग और वैज्ञानिक प्रयोग शामिल हैं.

अंतरिक्ष की रोमांचक दुनिया में भारत का परचम फिर लहराया है. भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने 25 जून 2025 को Axiom-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ऐतिहासिक उड़ान भरी. स्पेसएक्स के ड्रैगन यान से उड़ान भरते हुए शुभांशु न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन चुके हैं. लेकिन इस मिशन के साथ-साथ लोगों के मन में यह सवाल भी गूंज रहा है कि अंतरिक्ष यात्री को क्या वेतन और सुविधाएं मिलती हैं—और खासकर शुभांशु को?
नासा और ESA में कितना कमाते हैं अंतरिक्ष यात्री?
नासा के सिविलियन अंतरिक्ष यात्रियों को अमेरिका की जनरल सर्विस (GS) पे स्केल के अनुसार तनख्वाह दी जाती है.
- GS-13 ग्रेड में वे सालाना $81,216 से $105,579 तक कमा सकते हैं.
- GS-14 ग्रेड में यह बढ़कर $124,764 तक जाती है.
- वहीं वरिष्ठ अंतरिक्ष यात्री GS-15 ग्रेड में सालाना $146,757 (करीब 1.25 करोड़ रुपये) तक कमाते हैं.
नासा की वेबसाइट के अनुसार, औसतन एक अंतरिक्ष यात्री 1.3 करोड़ रुपये सालाना कमाता है. अगर वह सेना से आता है, तो टैक्स-फ्री इनकम, पेंशन और हाउसिंग अलाउंस जैसी सुविधाएं मिलती हैं.
दूसरी ओर, यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) में अंतरिक्ष यात्रियों की तनख्वाह देश पर निर्भर होती है:
- फ्रांस: 70,143 यूरो सालाना (करीब 60 लाख रुपये)
- जर्मनी: 66,588 यूरो सालाना
- यूके: 54,416 पाउंड सालाना
इन देशों में ESA के अंतरिक्ष यात्रियों को इनकम टैक्स से छूट मिलती है, जिससे उनकी नेट सैलरी और भी आकर्षक हो जाती है.
शुभांशु को इस मिशन के लिए क्या मिलेगा?
शुभांशु भारतीय वायुसेना के अफसर हैं और उनकी सैलरी सेना के रैंक और सर्विस के मुताबिक तय होती है. Axiom-4 मिशन के लिए उन्हें कोई अतिरिक्त वेतन या बोनस नहीं दिया जा रहा है. लेकिन भारत सरकार ने इस मिशन पर 548 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जिसमें उनकी ट्रेनिंग, प्रयोग और मिशन संबंधित सभी खर्च शामिल हैं.
कौन हैं शुभांशु शुक्ला?
उत्तर प्रदेश के लखनऊ से ताल्लुक रखने वाले 39 वर्षीय शुभांशु के पिता राज्य सचिवालय से मुख्य सचिव पद से सेवानिवृत्त हुए हैं. लेकिन शुभांशु ने पारिवारिक अपेक्षाओं के विरुद्ध जाकर NDA जॉइन किया और 2006 में फाइटर पायलट बने.
उनके पास 2,000 घंटे से अधिक का फ्लाइंग अनुभव है और वे Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर जैसे युद्धक विमानों को उड़ा चुके हैं. 2019 में ISRO ने उन्हें गगनयान मिशन के लिए चुना और तब से उन्होंने रूस, अमेरिका, जापान जैसे देशों में ट्रेनिंग ली.
क्या करेंगे ISS पर?
शुभांशु ISS पर 14 दिन रहेंगे और 7 भारतीय व 5 अमेरिकी वैज्ञानिक प्रयोग में भाग लेंगे. इनमें माइक्रोग्रैविटी में खेती, जैविक प्रक्रियाएं, और भारतीय योग पर रिसर्च शामिल हैं. यह मिशन भारत के लिए न केवल एक वैज्ञानिक छलांग है, बल्कि आने वाले मानव मिशनों की मजबूत नींव भी है.


