कंबोडिया में 'डिजिटल अरेस्ट' गैंग का भंडाफोड़, 105 भारतीयों समेत 3,075 गिरफ्तार
कंबोडिया में बीते 15 दिनों में साइबर अपराधियों के खिलाफ चली सबसे बड़ी कार्रवाई ने अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी रैकेट को हिला कर रख दिया है. 3,075 आरोपियों की गिरफ्तारी, जिनमें 105 भारतीय नागरिक भी शामिल हैं, इस बात का प्रमाण है कि यह गोरखधंधा कितनी बड़ी वैश्विक समस्या बन चुका है.

कंबोडिया में बीते 15 दिनों से चल रहे एक बेहद सघन ऑपरेशन ने दुनियाभर में साइबर अपराधियों की नींद उड़ा दी है. इस ऑपरेशन के तहत कंबोडिया पुलिस ने ऑनलाइन स्कैम और डिजिटल फ्रॉड के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए कुल 3,075 लोगों को गिरफ्तार किया है. इन गिरफ्तारियों में 105 भारतीय नागरिक भी शामिल हैं, जिनकी वापसी के लिए अब भारत सरकार तत्परता से प्रयास कर रही है.
यह अभियान भारत के गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और साइबर क्राइम कंट्रोल एजेंसी I4C की पहल पर चलाया गया था. भारत सरकार को यह इनपुट मिला था कि कंबोडिया से ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसे घातक साइबर फ्रॉड संचालित किए जा रहे हैं. इसी के बाद कंबोडियाई प्रशासन ने ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू की.
138 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी
कंबोडिया पुलिस ने 15 दिनों के भीतर देशभर में फैले 138 विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी की. इस कार्रवाई के दौरान 606 महिलाएं भी पकड़ी गईं. जिन नागरिकों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें सबसे ज्यादा 1,028 चीनी नागरिक, 693 वियतनामी, 366 इंडोनेशियाई, 101 बांग्लादेशी, 82 थाई, 81 पाकिस्तानी, 57 कोरियाई, 13 नेपाली और 4 मलेशियाई शामिल हैं. इसके अलावा फिलीपींस, रूस, म्यांमार, नाइजीरिया और युगांडा के लोग भी इस नेटवर्क से जुड़े पाए गए.
भारत सरकार की अपील पर हुई कार्रवाई
भारत सरकार ने इस डिजिटल फ्रॉड रैकेट को गंभीरता से लेते हुए कंबोडिया प्रशासन से सीधी अपील की थी. गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने पिछले महीने कंबोडियाई सरकार के साथ इस विषय पर बैठक की थी. इसके बाद ही यह व्यापक अभियान चलाया गया. भारत सरकार का मानना है कि कंबोडिया में चल रहे इस तरह के नेटवर्क न केवल भारतीय नागरिकों को शिकार बना रहे हैं, बल्कि भारत के साइबर सुरक्षा ढांचे को भी चुनौती दे रहे हैं. इसीलिए सरकार अब 105 भारतीयों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने की प्रक्रिया में जुटी है.
बड़ी मात्रा में हथियार, ड्रग्स और फर्जी वर्दी जब्त
इस ऑपरेशन में पुलिस को जो सबूत मिले हैं, वे चौंकाने वाले हैं. सैकड़ों की संख्या में कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल फोन, ड्रग्स, हथियार, गोलियां, फर्जी पुलिस वर्दी (भारतीय और चीनी दोनों), ड्रग प्रोसेसिंग मशीनें और नकली दस्तावेज बरामद किए गए हैं. कई ठिकानों से एक्स्टेसी पाउडर जैसी उच्च-स्तरीय नशीली दवाएं भी जब्त हुई हैं, जिससे यह साफ होता है कि ये रैकेट सिर्फ साइबर ठगी में नहीं, बल्कि ड्रग्स और हथियारों की तस्करी में भी शामिल थे.
साइबर ठगी का नेटवर्क हो सकता है अंतरराष्ट्रीय
कंबोडिया प्रशासन की शुरुआती जांच के अनुसार, यह नेटवर्क केवल कंबोडिया तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके तार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैले हुए हैं. पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ जारी है और यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में और बड़ी गिरफ्तारियां हो सकती हैं.
भारत सरकार की चेतावनी: सतर्क रहें
भारत सरकार ने नागरिकों को साफतौर पर चेतावनी दी है कि वे कंबोडिया और आसपास के क्षेत्रों में चल रहे साइबर क्राइम रैकेट से सतर्क रहें. फर्जी कॉल, ईमेल, सोशल मीडिया के ज़रिए “डिजिटल अरेस्ट” और फ्रॉड जैसे मामलों से खुद को बचाएं और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत रिपोर्ट करें.


