यूपी में हैवानियत की हद पार, बच्ची की आंखें फोड़ डालीं, काटा प्राइवेट पार्ट, चाकू से चेहरे-गर्दन पर किए कई वार
एक मां और तीन बहनें अपने इकलौते बेटे की हत्या के बाद सदमे में हैं। पिता सुनील कुमार की आर्थिक स्थिति कमजोर है। वह दिल्ली में रहकर मजदूरी करते हैं, जबकि उनकी पत्नी मिथलेश घर चलाने के लिए गांव के खेतों में काम करती हैं। सुनील दो दिन पहले ही दिल्ली से गांव आया था।

क्राइम न्यूज. उत्तर प्रदेश के एटा जिले से एक दिल दहला देने वाली खबर आई है । एक नकाबपोश बदमाश ने एक मासूम बच्चे की चाकू से गोदकर और पत्थर से हमला कर बेरहमी से हत्या कर दी। मासूम बच्चे का शव देखने वाला हर कोई स्तब्ध रह गया। सूचना मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी। रिपोर्ट के अनुसार, एटा के आलमपुर गांव में एक आम के बाग में 11 वर्षीय बालक की चाकू घोंपकर और पत्थरों से कूचकर निर्मम हत्या कर दी गई। हत्यारे ने बच्चे की आंखें फोड़ दीं और उसके चेहरे, गर्दन, पेट और गुप्तांगों पर चाकू से वार किया।
दो को हिरासत में लिया गया
मृतक की पहचान अनुज कुमार के रूप में हुई है। वह परिवार में इकलौता बेटा था। हमले में अनुज के दो दोस्त अजीत (11) और नितिन (12) भी घायल हो गए। मृतक अनुज की मां की शिकायत पर मिर्ची थाना पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने आम के बाग के मालिक और बाग से सटे खेत के मालिक को हिरासत में ले लिया है। दोनों से पूछताछ की जा रही है। आलमपुर गांव निवासी मृतक अनुज के पिता सुनील कुमार ने पुलिस को बताया कि सुबह साढ़े आठ बजे उसका बेटा अपने दोस्तों के साथ आम के बगीचे में शौच के लिए गया था।
अचानक हमला
इसी बीच, चेहरे पर तौलिया बांधे एक व्यक्ति ने अचानक बच्चों पर चाकू से हमला कर दिया। अनुज के दोनों दोस्त किसी तरह हमलावर के चंगुल से भागने में सफल रहे, लेकिन उसने अनुज को पकड़ लिया और उस पर चाकू से कई वार कर उसे मार डाला। अनुज के दोनों साथी भी घायल हैं। इनमें से नितिन को चाकू मारा गया है। घायल बच्चों ने घर पहुंचकर अपने परिजनों को घटना की जानकारी दी। जब तक परिवार आम के बगीचे की ओर दौड़ा, हमलावर पहले ही भाग चुका था। सूचना मिलते ही थाने के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे और हमलावरों की तलाश शुरू कर दी।
बेहोश हो रही है मां बार-बार
एक मां और तीन बहनें अपने इकलौते बेटे की हत्या के बाद सदमे में हैं। पिता सुनील कुमार की आर्थिक स्थिति कमजोर है। वह दिल्ली में रहकर मजदूरी करते हैं, जबकि उनकी पत्नी मिथलेश घर चलाने के लिए गांव के खेतों में काम करती हैं। सुनील दो दिन पहले दिल्ली से गांव आया था। अनुज के अलावा उनकी तीन बेटियां हैं। सभी बच्चे गांव में रहते हैं और पढ़ते हैं। रोती हुई बहनें कह रही थीं कि अब वे किसे राखी बांधेंगी और किसके साथ भाई दूज का त्योहार मनाएंगी। मां मिथलेश भी बार-बार अपने बेटे का नाम पुकार रही थी और बार-बार बेहोश हो जा रही थी।


