'नरक जाना पसंद करूंगा': पाकिस्तान और नर्क में से किसी एक को चुनने पर जावेद अख्तर
मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान जावेद अख्तर ने कहा कि अगर उन्हें पाकिस्तान और नरक में से चुनना हो तो वे नरक को चुनेंगे. उन्होंने बताया कि भारत और पाकिस्तान दोनों जगह के कट्टरपंथी उन्हें गालियां देते हैं. उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से दूरी बनाए रखने की बात की और मुंबई व महाराष्ट्र को अपनी सफलता का श्रेय दिया. साथ ही भारत-पाकिस्तान के सांस्कृतिक संबंधों में आई ठंडक का भी ज़िक्र किया.

मुंबई में शनिवार रात शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत की किताब के विमोचन कार्यक्रम में वरिष्ठ गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर ने अपने तीखे विचार बेबाकी से रखे. 80 वर्षीय अख्तर ने कहा कि अगर उन्हें कभी पाकिस्तान और नरक के बीच एक विकल्प चुनना पड़े, तो वह बिना झिझक नरक को चुनेंगे.
दोनों ओर से मिलती हैं गालियां
अख्तर ने कहा कि उन्हें भारत और पाकिस्तान, दोनों ही देशों के चरमपंथियों की ओर से गालियां मिलती हैं. उन्होंने कहा, "कभी मैं आपको अपना ट्विटर (अब एक्स) और व्हाट्सऐप दिखाऊंगा. दोनों तरफ से लोग मुझे अपशब्द कहते हैं. हालांकि कुछ लोग मेरी बातों की सराहना भी करते हैं, लेकिन ये कट्टरपंथी हर जगह मौजूद हैं." अख्तर का कहना था कि अगर एक दिन ये गालियां आनी बंद हो जाएं, तो उन्हें सच में चिंता होगी कि कुछ गलत हो गया है. उन्होंने कहा, "जब दोनों तरफ से आलोचना होती है, तभी समझ आता है कि आप कुछ सही कर रहे हैं."
पाकिस्तान से बेहतर नरक
दर्शकों की तालियों के बीच अख्तर ने एक तीखा वक्तव्य दिया: "एक तरफ के लोग मुझे काफिर कहकर नरक भेजना चाहते हैं, और दूसरी तरफ के लोग मुझे जिहादी कहकर पाकिस्तान भेजना चाहते हैं. अगर मुझे चुनाव करना पड़े तो मैं नरक जाना पसंद करूंगा." उन्होंने कहा कि उनकी निष्ठा किसी एक राजनीतिक दल से नहीं है. "कोई भी पार्टी पूरी तरह हमारी नहीं होती, लेकिन हर पार्टी हमारी हो सकती है. नागरिक होने के नाते हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम सच्चाई को पहचानें और उसी का साथ दें," अख्तर ने कहा.
मुंबई और महाराष्ट्र का आभार
जावेद अख्तर ने इस अवसर पर मुंबई और महाराष्ट्र के प्रति आभार व्यक्त किया. उन्होंने बताया कि वह जब 19 वर्ष के थे, तब मुंबई आए थे और उनकी सारी उपलब्धियां इसी शहर की देन हैं. उन्होंने कहा कि मुंबई ने मुझे सब कुछ दिया. पिछले तीस सालों में मुझे चार बार पुलिस सुरक्षा मिली, जिनमें से तीन बार सुरक्षा उन लोगों के कारण दी गई जो मेरे विचारों से असहमत थे—खासकर कुछ धार्मिक समूहों द्वारा दी गई धमकियों के चलते.
सांस्कृतिक संबंधों पर ठंडी पड़ी गर्मी
पिछले महीने अख्तर ने भारत-पाकिस्तान के सांस्कृतिक संबंधों पर भी टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच अब पहले जैसी गर्मजोशी नहीं रही. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह समय पाकिस्तानी कलाकारों को भारत में काम करने की अनुमति देने या न देने जैसे मुद्दों पर सोचने का भी नहीं है.


