'मुसलमानों के लिए आरएसएस का बयान सिर्फ दिखावा', ओवैसी ने मोहन भागवत की टिप्पणी पर साधा निशाना
असदुद्दीन ओवैसी ने मोहन भागवत के मुसलमानों पर दिए गए बयानों को पाखंडपूर्ण और निरर्थक बताया. ओवैसी ने बीजेपी की चुनावी जीत के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि मुस्लिम वोट को केवल चुनावी लाभ के रूप में देखा जाता है. उन्होंने मुसलमानों के राजनीतिक प्रतिनिधित्व की कमी पर सवाल उठाया और कहा कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लिए मुस्लिम समुदाय की भागीदारी जरूरी है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत द्वारा मुसलमानों के बारे में दिए गए हालिया बयानों पर एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उन्होंने इन बयानों को पाखंडपूर्ण और निरर्थक बताया और कहा कि इस तरह के बयान मुस्लिम समुदाय के लिए सिर्फ एक दिखावा होते हैं. ओवैसी ने साफ शब्दों में कहा कि यह बयानबाजी बिना किसी उद्देश्य के है और केवल राजनीतिक लाभ के लिए दी जाती है.
आरएसएस के बयान को पाखंड मानते हैं ओवैसी
ओवैसी ने 17 मई 2025 को मोहन भागवत के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कहा था कि मंदिर-मस्जिद के विवादों से राजनीति करने वालों को यह समझना चाहिए कि हम एक साथ रह सकते हैं और हमें इस संदेश को दुनिया तक पहुंचाना चाहिए. ओवैसी ने कहा, "मुसलमानों के लिए आरएसएस प्रमुख के कभी-कभी दिए जाने वाले शांतिदायक बयान पाखंडपूर्ण और निरर्थक होते हैं." उनका मानना है कि जब तक आरएसएस और उसके नेतृत्व का मानसिकता नहीं बदलती, तब तक इन बयानों का कोई वास्तविक प्रभाव नहीं पड़ता.
ओवैसी ने विपक्षी दलों पर किया हमला
हैदराबाद से एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बीजेपी की लगातार चुनावी जीत के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि यह जीत विपक्ष की विफलता और हिंदू मतदाताओं के एकजुट होने का परिणाम है. ओवैसी ने कहा कि बीजेपी की सत्ता में आने के लिए केवल मोदी विरोधी मतदाताओं के बीच सेंध लगाने का आरोप लगाना गलत है. उन्होंने बताया, "अगर मैं 2024 के लोकसभा चुनाव में हैदराबाद, औरंगाबाद और किशनगंज जैसी सीटों पर चुनाव लड़ता हूं, और बीजेपी को 240 सीटें मिलती हैं, तो क्या मैं जिम्मेदार हूं?" ओवैसी ने यह भी जोड़ा कि बीजेपी ने लगभग 50 प्रतिशत हिंदू मतों को अपने पक्ष में किया है, जिससे उनकी जीत संभव हो पाई.
विपक्षी दलों के मुस्लिम वोट पर नजरिया
ओवैसी ने यह भी कहा कि विपक्षी दल मुस्लिम वोट को केवल चुनावी लाभ के रूप में देखते हैं, लेकिन उनके असली मुद्दों पर ध्यान नहीं देते. उन्होंने विपक्षी दलों पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे मुस्लिमों के साथ भेदभाव करते हैं और उन्हें केवल वोट बैंक के रूप में देखते हैं. ओवैसी ने कहा, "विपक्षी दलों को मुस्लिम समुदाय के वास्तविक मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए, बजाय इसके कि वे हमें चुनावी लाभ के लिए इस्तेमाल करें."
मुसलमानों के राजनीतिक नेतृत्व पर सवाल
ओवैसी ने समाज में समानता की बात करते हुए कहा कि जब समाज के सभी वर्गों को राजनीतिक नेतृत्व मिल सकता है, तो मुस्लिम समुदाय को क्यों नहीं? उन्होंने कहा, "ऊंची जाति के लोग नेता बन सकते हैं, लेकिन मुसलमानों को केवल भिखारी ही क्यों दिखाया जाता है?" ओवैसी ने यह सवाल उठाया कि जब अन्य समुदायों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिलता है, तो मुस्लिम समुदाय को इससे वंचित क्यों रखा जाता है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत के संस्थापक नेताओं ने देश को एक सहभागी लोकतंत्र के रूप में कल्पना किया था, तो मुसलमानों की इस लोकतंत्र में क्या भूमिका है?
भारत के विकास के लिए मुसलमानों की भागीदारी जरूरी
ओवैसी ने यह भी कहा कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य हासिल नहीं हो सकता जब तक मुस्लिम समुदाय को मुख्यधारा में शामिल नहीं किया जाता. उनका मानना है कि मुसलमानों को वोट बैंक के रूप में देखना बंद कर देना चाहिए और इसके बजाय उन्हें शिक्षा, रोजगार, और सामाजिक अधिकार देने के लिए काम करना चाहिए. ओवैसी ने इस दिशा में राजनीति दलों से सकारात्मक कदम उठाने की अपील की, ताकि मुस्लिम समुदाय को समग्र विकास में भागीदार बनाया जा सके.


