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दिवाली पर बॉलीवुड पर टूटा दुखों का पहाड़, दिग्गज एक्टर असरानी ने 84 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

Bollywood actor Asrani passes away : 84 वर्ष की उम्र में मशहूर हास्य अभिनेता असरानी का निधन हो गया. उन्होंने 400 से अधिक फिल्मों में अपने अभिनय से दर्शकों को हँसाया. 'शोले' में जेलर की भूमिका, 'चुपके चुपके' जैसी फिल्मों में हास्य अभिनय के लिए उन्हें याद किया जाएगा. जयपुर में जन्मे असरानी ने रेडियो आर्टिस्ट से फिल्मों तक का लंबा संघर्ष किया और बॉलीवुड में अमिट छाप छोड़ी. उनका निधन एक युग का अंत है.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

Bollywood actor Asrani passes away : भारतीय सिनेमा को हँसी की सौगात देने वाले दिग्गज कॉमेडियन और अभिनेता गोवर्धन असरानी, जिन्हें पूरी दुनिया 'असरानी' के नाम से जानती थी, अब हमारे बीच नहीं रहे. सोमवार को 84 वर्ष की आयु में मुंबई के एक अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. पिछले पांच दिनों से वे अस्पताल में भर्ती थे और इलाज चल रहा था. उनके निधन की खबर से बॉलीवुड और उनके लाखों प्रशंसकों में शोक की लहर दौड़ गई है.

1960 के दशक में फिल्मी दुनिया में कदम रखा

1 जनवरी 1941 को जयपुर में जन्मे असरानी ने 1960 के दशक में फिल्मी दुनिया में कदम रखा. उनकी शिक्षा सेंट जेवियर्स स्कूल से हुई और आगे की पढ़ाई उन्होंने राजस्थान कॉलेज से की. पढ़ाई के बाद असरानी ने एक रेडियो आर्टिस्ट के रूप में करियर की शुरुआत की थी. फिल्मों में उनका संघर्ष लंबा और कठिन था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. 1971 में आई जया भादुरी स्टारर फिल्म ‘गुड्डी’ से उन्हें पहली बार व्यापक पहचान मिली. इसके बावजूद उन्हें इंडस्ट्री में पूरी तरह स्वीकार किए जाने में समय लगा.

गुलजार ने कहा था 'कुछ अजीब सा चेहरा है'
असरानी ने एक पुराने इंटरव्यू में बताया था कि शुरूआत में उन्हें एक 'कमर्शियल' एक्टर के तौर पर नहीं देखा जाता था. उन्होंने गुलजार साहब का जिक्र करते हुए कहा था कि गुलजार उन्हें एक अजीब से चेहरे वाला कलाकार मानते थे. लेकिन जब असरानी ने अपने अभिनय कौशल का प्रमाण दिया, तो न केवल दर्शकों बल्कि निर्देशकों का नजरिया भी पूरी तरह बदल गया.

400 से अधिक फिल्मों में निभाई हास्य की जिम्मेदारी
अपने करियर में असरानी ने 400 से भी ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया. उनकी अनोखी संवाद अदायगी, कॉमिक टाइमिंग और चेहरे के हाव-भाव ने उन्हें न सिर्फ एक हास्य अभिनेता बल्कि एक कलात्मक स्तंभ के रूप में स्थापित किया. 1970 और 80 के दशक में वह हर दूसरी फिल्म में अपनी उपस्थिति से दर्शकों को हँसाते नज़र आते थे.

'शोले' का जेलर आज भी लोगों के दिलों में जिंदा
1975 की ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘शोले’ में असरानी का “अंग्रेजों के ज़माने का जेलर” वाला किरदार आज भी भारतीय सिनेमा का एक क्लासिक उदाहरण है कि हास्य कैसे गंभीर कहानी में राहत ला सकता है. ‘चुपके चुपके’, ‘बावर्ची’, ‘छोटी सी बात’ और ‘खट्टा मीठा’ जैसी फिल्मों में भी उनके किरदार अमर हो गए.

राजनीति में भी आजमाया था हाथ
असरानी ने अभिनय के साथ-साथ राजनीति में भी दिलचस्पी दिखाई थी. 2004 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ली और लोकसभा चुनावों के दौरान सक्रिय भूमिका निभाई थी. हालांकि, राजनीति में उनकी यात्रा अभिनय जैसी प्रभावशाली नहीं रही.

व्यक्तिगत जीवन और विरासत
असरानी की पत्नी मंजू बंसल ईरानी भी एक अभिनेत्री थीं और दोनों ने कई फिल्मों में एक साथ काम किया. उनका पारिवारिक जीवन सरल और मीडिया से दूर रहा, लेकिन उनकी ऑनस्क्रीन उपस्थिति हमेशा जीवंत रही. असरानी की मृत्यु से भारतीय सिनेमा ने एक ऐसा सितारा खो दिया है, जिसकी जगह कोई नहीं ले सकता. लेकिन वे अपने निभाए गए किरदारों, हँसी की सौगातों और सिनेमा में दिए गए योगदान के जरिए हमेशा अमर रहेंगे.

असरानी का जाना केवल एक अभिनेता का नहीं, बल्कि एक युग का अंत है. उनका जीवन उन कलाकारों के लिए प्रेरणा है जो मेहनत, धैर्य और जुनून से अपने सपनों को सच करना चाहते हैं. उनके संवाद, उनके हाव-भाव और उनकी कॉमिक टाइमिंग – ये सब उन्हें सदा हमारे दिलों में जिंदा रखेंगे.

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20 October 2025, 08:48 PM IST

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