क्या होता है फेस रिकग्निशन टेस्ट?, सैफ मामले में गिरफ्तार शख्स की इस टेस्ट से होगी जांच
सैफ अली खान पर हुए हमले के मामले में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. लोगों का दावा है कि पुलिस ने गलत आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. सीसीटीवी में दिख रहा आरोपी पुलिस हिरासत में मौजूद शरीफुल नहीं है. यही कारण है कि इन तमाम सवालों के जवाबों को लेकर पुलिस फेस रिकग्निशन टेस्ट कराने जा रही है.

बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान पर हुए हमले को एक हफ्ते से अधिक समय हो चुका है. मामले में अब तक कई अहम खुलासे हो चुके हैं. हालांकि आरोपी की गिरफ्तारी हो चुकी है, लेकिन पुलिस पर आरोपी के चेहरे को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि सीसीटीवी फुटेज में दिख रहे आरोपी और पुलिस द्वारा गिरफ्तार आरोपी में अंतर है. इस कारण आरोपी शरीफुल का फेस रिकग्निशन टेस्ट कराने का निर्णय लिया गया है, जिससे यह स्पष्ट हो सकेगा कि क्या सच्चाई है. फिलहाल, आरोपी 29 जनवरी तक पुलिस हिरासत में रहेगा.
फेस रिकॉगनाइजेशन टेस्ट क्या होता है?
फेस रिकॉगनाइजेशन टेस्ट एक तकनीक है जिसमें किसी व्यक्ति के चेहरे की 3डी इमेज बनाई जाती है. फिर उसकी पहचान की जाती है. यह तकनीक व्यक्ति की पहचान सुनिश्चित करने में मदद करती है. खासकर जब उसे फोटो या वीडियो में देखा गया हो. आसान शब्दों में कहें तो, यह टेस्ट पुलिस को किसी संदिग्ध व्यक्ति की पहचान करने और उसे ट्रैक करने में मदद करता है.
कैसे किया जाता है यह टेस्ट?
यह टेस्ट एक लैब में किया जाता है, जहां 3D इमेज तैयार की जाती है. सीसीटीवी फुटेज में दिखाई जा रही इमेज से मेल खाते हुए फोटो बनाए जाते हैं. फिर इन फोटो को हर एंगल से मिलाया जाता है, ताकि सही पहचान सुनिश्चित की जा सके. इस प्रक्रिया को पूरा करने में 48 से 72 घंटे तक का समय लगता है. यह टेस्ट विशेषज्ञों की मौजूदगी में किया जाता है.
शरीफुल का टेस्ट कैसे होगा?
मुंबई पुलिस के पास पहले से ही शरीफुल का सैफ के घर की सीढ़ियों पर चढ़ते हुए वीडियो है. इसके अलावा अन्य फुटेज भी मौजूद हैं. इन सबका उपयोग करते हुए शरीफुल का फेस रिकॉगनाइजेशन टेस्ट किया जाएगा. टेस्ट के दौरान, शरीफुल की 3D फोटो बनाई जाएगी और उसे सीसीटीवी फुटेज से मिलाकर मैच किया जाएगा. इस पूरी प्रक्रिया के बाद जांच का परिणाम सामने आएगा, जो यह तय करेगा कि क्या आरोपी वही व्यक्ति है जो सीसीटीवी में दिखा था.


