'वक्फ एक्ट पर नहीं हो सका फैसला', अब अगले सीजेआई बीआर गवई करेंगे सुनवाई...13 मई को रिटायर होंगे चीफ जस्टिस खन्ना
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई 15 मई तक स्थगित कर दी है, क्योंकि सरकार के हलफनामे की अभी पूरी जांच नहीं हुई है. यह मामला नए मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता में सुना जाएगा. अधिनियम की वैधता को कई मुस्लिम संगठनों, राजनीतिक दलों और नागरिक समूहों ने चुनौती दी है. केंद्र सरकार ने "वक्फ बाय यूजर" जैसे प्रावधानों पर अस्थायी रोक का आश्वासन दिया है. अब सभी की निगाहें अगली सुनवाई पर हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक ग्रुप पर सुनवाई स्थगित कर दी. कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर अब 15 मई को सुनवाई की जाएगी, क्योंकि पीठ ने इस मुद्दे पर सरकार के हलफनामे की अभी तक पूरी तरह से जांच नहीं की है. इस महत्वपूर्ण कानूनी मामले की सुनवाई अगले मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली नई पीठ के समक्ष होगी, जो 14 मई को शपथ लेंगे.
वक्फ संशोधन एक्ट पर विवाद
भारत में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दी थी. यह विधेयक लोकसभा में 288 मतों से पारित हुआ था, जबकि इसके विरोध में 232 सांसद थे. राज्यसभा में इसके पक्ष में 128 और विपक्ष में 95 सदस्य थे. यह अधिनियम वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और उपयोग से संबंधित कई महत्वपूर्ण प्रावधानों में बदलाव करता है, विशेष रूप से वक्फ बाय यूजर जैसे प्रावधानों को लेकर.
विधेयक के मुख्य प्रावधानों में से एक यह है कि इसमें वक्फ संपत्तियों के उपयोग की प्रक्रिया को नया रूप दिया गया है, जिससे इन संपत्तियों के प्रबंधन में अधिक पारदर्शिता और नियंत्रण का दावा किया गया है. हालांकि, इसे लेकर कई विवाद उत्पन्न हुए हैं, खासकर भूमि स्वामित्व और धार्मिक बंदोबस्ती से जुड़ी जटिलताएँ.
याचिकाओं का महत्वपूर्ण मुद्दा
इस संशोधित वक्फ कानून की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाए गए हैं. कई मुस्लिम संगठनों, राजनीतिक दलों और नागरिक समाज समूहों ने इस अधिनियम की वैधता को चुनौती दी है. एआईएमआईएम के प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी एक याचिका दायर की है. याचिकाकर्ता यह दावा कर रहे हैं कि नए संशोधन से धार्मिक स्वतंत्रता और वक्फ संपत्तियों के स्वामित्व को नुकसान हो सकता है.
केंद्र सरकार का रुख
इस मामले में केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से यह आश्वासन दिया था कि 5 मई तक "वक्फ बाय यूजर" सहित वक्फ संपत्तियों को न तो गैर-अधिसूचित किया जाएगा और न ही केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्डों में कोई नई नियुक्तियाँ की जाएंगी. साथ ही, केंद्र ने वक्फ परिषद और बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने के प्रावधान पर रोक लगाने के आदेश का विरोध किया था.
नए CJI के तहत सुनवाई
इस मामले की सुनवाई अब नए मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ में 15 मई को होगी. यह मामला बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके परिणामस्वरूप देश में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और उपयोग पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकते हैं. अब इस मामले पर सभी की नजरें नए मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं.


