score Card

दिल्ली धमाके की गुत्थी गहराती गई-बारूद, कारतूस और रहस्यमय टुकड़ों में छिपे हैं 40 सबूतों के राज़!

दिल्ली के लाल क़िला मेट्रो स्टेशन के पास हुए धमाके ने राजधानी को हिला दिया है। एफएसएल टीम ज़मीन से लेकर दीवारों तक हर सबूत खंगाल रही है ताकि साज़िश का पूरा चेहरा सामने आ सके।

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

नई दिल्ली : मेट्रो स्टेशन के पास एफएसएल की टीम पूरी रात सबूत जुटाती रही। अब तक 40 से ज़्यादा सैंपल इकट्ठा किए जा चुके हैं। पुलिस को दो कारतूस, एक जिंदा गोला और दो अलग-अलग तरह के विस्फोटक मिले हैं। शुरुआती जांच में एक सैंपल अमोनियम नाइट्रेट जैसा बताया गया है, जबकि दूसरा उससे ज़्यादा शक्तिशाली माना जा रहा है। टीम का कहना है कि हर टूटे हुए टुकड़े से साज़िश की गहराई तक पहुंचा जा सकता है।

क्या ये विस्फोटक आम थे या फ़ौजी ग्रेड के?

जांच अधिकारियों के मुताबिक एक नमूना अमोनियम नाइट्रेट जैसा है, जबकि दूसरा उससे कहीं ज़्यादा विध्वंसक है। अभी दोनों की पूरी जांच की जा रही है ताकि असली रासायनिक बनावट पता चल सके। एफएसएल के वैज्ञानिक लगातार तीन शिफ्टों में काम कर रहे हैं। उन्हें साफ़ निर्देश है कि रिपोर्ट में कोई देरी न हो। पुलिस को शक है कि ये विस्फोटक किसी प्रशिक्षित व्यक्ति ने तैयार किए हैं।

कौन हैं गिरफ्तार किए गए प्रोफेसर?
इस मामले में अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े दो प्रोफेसर डॉ. मुज़म्मिल गनई और डॉ. शाहीन सईद को फरीदाबाद से गिरफ्तार किया गया है। वहाँ से 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट बरामद हुआ था। जांच एजेंसियों को शक है कि ये रसायन वही है जो दिल्ली धमाके में इस्तेमाल किया गया। अगर ऐसा साबित होता है तो यह एक बड़े नेटवर्क की साजिश साबित होगी, जिसने अकादमिक हलकों तक अपने पैर फैला रखे हैं।

सबसे अहम सबूत कौन से हैं?
एफएसएल टीम ने अब तक 40 से ज़्यादा सैंपल इकट्ठे किए हैं जिनमें वाहन के टूटे अवशेष, धातु के टुकड़े और मानव शरीर के अंग शामिल हैं। विशेषज्ञ इन टुकड़ों पर मिले रासायनिक निशानों का परीक्षण कर रहे हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि कौन-से विस्फोटक इस्तेमाल हुए। धुएं के दाग, मेटल के निशान और रासायनिक परतें इस जांच में सबसे अहम मानी जा रही हैं।

मानव शरीर के टुकड़े क्या राज खोलेंगे?
जांच टीम को घटनास्थल से कई क्षत-विक्षत मानव अवशेष मिले हैं। एक शरीर ऐसा मिला है जिसका सिर नहीं है, जबकि दूसरे में उंगलियों के टुकड़े और पेट का हिस्सा है। पुलिस को शक है कि ये शव आतंकियों के भी हो सकते हैं, लेकिन डीएनए जांच के बिना यह साफ़ नहीं हो सकता। एफएसएल के अधिकारी कह रहे हैं कि धमाका इतना शक्तिशाली था कि पहचान लगभग नामुमकिन हो गई है।

क्या जांच एजेंसियां साजिश के मास्टरमाइंड के करीब हैं?
दिल्ली पुलिस, एनआईए और एफएसएल की संयुक्त टीम अब हर पहलू की जांच कर रही है। आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं और विस्फोटक सामग्री के सप्लायर तक पहुंचने की कोशिश हो रही है। अधिकारियों का कहना है कि ये धमाका किसी अकेले व्यक्ति का काम नहीं बल्कि कई लोगों के आपसी तालमेल से किया गया हमला है। हर दिशा में जांच जारी है।

क्या जल्द खुलेगा इस धमाके का राज?
एफएसएल की दस सदस्यीय विशेष टीम चौबीसों घंटे काम कर रही है। उनका मक़सद है विस्फोटक की पहचान करना, पुराने मामलों से उसका मिलान करना और इस हमले की कड़ी को जोड़ना। जैसे ही रिपोर्ट सामने आएगी, एनआईए पूरी साज़िश का पर्दाफाश करेगी। दिल्ली की जनता अब एक ही सवाल पूछ रही है लाल किले के साए में किसने बोई ये तबाही की बारूद.

calender
12 November 2025, 02:07 PM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag