'यूएन में फ्लॉप हुआ पाकिस्तान का कश्मीर मुद्दा', दुनिया के सामने गिड़गिड़ाने लगे बिलावल भुट्टो
बिलावल भुट्टो ने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के प्रयासों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर गंभीर बाधाओं का सामना करने की बात की. उन्होंने भारत के साथ आतंकवाद से निपटने के लिए सहयोग की इच्छा जताई और रॉ-आईएसआई के सहयोग का प्रस्ताव रखा. ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की सैन्य स्थिति कमजोर हुई, जिससे उसके कूटनीतिक प्रयासों में दबाव बढ़ा है.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के प्रमुख बिलावल भुट्टो जरदारी ने स्वीकार किया कि कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर लाने के पाकिस्तान के प्रयासों को गंभीर बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है. संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा, "जहां तक कश्मीर मुद्दे का सवाल है, हमें अभी भी कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, चाहे वह संयुक्त राष्ट्र में हो या सामान्य तौर पर."
भुट्टो इस समय अमेरिका में हैं, जहां वे एक पाकिस्तानी संसदीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं. यह प्रतिनिधिमंडल हाल के क्षेत्रीय तनावों पर पाकिस्तान का दृष्टिकोण प्रस्तुत करने के लिए अमेरिका में है, जिसमें 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत का ऑपरेशन सिंदूर भी शामिल है, जिसमें 26 नागरिकों की मौत हो गई थी.
भारत के साथ सहयोग का प्रस्ताव
अपने कट्टरपंथी बयानबाजी से हटकर भुट्टो ने एक समझौतावादी रुख अपनाया और आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ सहयोग करने की इच्छा जताई. उन्होंने परमाणु-सशस्त्र देशों के बीच युद्ध के खतरों का उल्लेख करते हुए कहा, "पाकिस्तान अभी भी आतंकवाद से निपटने के लिए भारत के साथ सहयोग करने को तैयार है. हम 1.5 अरब या 1.7 अरब लोगों की किस्मत को गैर-सरकारी तत्वों और आतंकवादियों के हाथों में नहीं छोड़ सकते."
भुट्टो ने यह भी स्वीकार किया कि भारत की लंबी अवधि से यह स्थिति रही है कि पाकिस्तानी धरती से आतंकवादियों ने पहलगाम हमले की साजिश रची थी. साथ ही, उन्होंने दो परमाणु-सशस्त्र देशों के बीच विवादों के समाधान के लिए किसी ठोस तंत्र के अभाव को रेखांकित किया, जो एक बड़ी समस्या बन सकता है.
RAW और ISI के सहयोग का सुझाव
भुट्टो ने ने भारत की रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW) और पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) को मिलकर दक्षिण एशिया में आतंकवाद का मुकाबला करने की आवश्यकता जताई. उन्होंने कहा, "अगर आईएसआई और रॉ इन ताकतों से लड़ने के लिए मिलकर काम करें, तो हम दोनों देशों में आतंकवाद में महत्वपूर्ण कमी देख सकते हैं." यह बयान उन दोनों देशों के बीच सहयोग की नई संभावना का संकेत देता है, जो अब तक एक दूसरे के प्रति पूरी तरह शत्रुतापूर्ण रहे हैं.
ऑपरेशन सिंदूर
भुट्टो का नरम रुख उस समय आया है, जब पाकिस्तान ऑपरेशन सिंदूर के बाद कथित सैन्य असफलताओं से जूझ रहा है. भारतीय सूत्रों के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय हमलों में पाकिस्तान के वायु सेना के कम से कम छह लड़ाकू विमान, दो रणनीतिक विमान, एक सी-130 ट्रांसपोर्टर और दस से अधिक यूसीएवी (अनमैन्ड एरियल व्हीकल्स) नष्ट हो गए थे. इसके अलावा, कई मिसाइलें भी नष्ट हो गई थीं. पाकिस्तान की इस स्थिति ने उसकी कूटनीतिक और सैन्य स्थिति को कमजोर किया है, जिससे वह अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अपनी स्थिति को पुनः स्थापित करने के प्रयासों में जुटा हुआ है.
पाकिस्तान के कूटनीतिक प्रयास
भारत में, कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल वाशिंगटन में अपनी यात्रा जारी रखे हुए है, जबकि भुट्टो और उनकी टीम कूटनीतिक रूप से पाकिस्तान की स्थिति को फिर से हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि, उनके बयान से यह साफ हो जाता है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा हुआ है, और उसे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने पड़ रहे हैं.


