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'जिन लोगों को गलत तरीके से नौकरी मिली, उन्हें बाहर किया जा सकता है', शिक्षक भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी

चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने कहा कि दलीलें सुनी जा चुकी हैं. फैसला सुरक्षित रखा जाता है. पीठ उस समय नाराज हो गई जब कुछ अभ्यर्थियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय के कथित राजनीतिक पूर्वाग्रह का मुद्दा उठाया.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती मामले में सोमवार को कहा कि जिन लोगों को ‘गलत तरीके से’ नौकरी मिली है. उन्हें बाहर किया जा सकता है. इसी बयान के साथ सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,753 शिक्षकों तथा अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति को अवैध करार देने के कलकत्ता हाईकोर्ट के 22 अप्रैल 2024 के निर्णय के खिलाफ याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.

चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने कहा कि दलीलें सुनी जा चुकी हैं. फैसला सुरक्षित रखा जाता है. पीठ उस समय नाराज हो गई जब कुछ अभ्यर्थियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय के कथित राजनीतिक पूर्वाग्रह का मुद्दा उठाया. जस्टिस गंगोपाध्याय ने कथित भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था.

बाद में बीजेपी में शामिल हुए जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय

दवे ने कहा कि यह तथ्य है कि अभिजीत गंगोपाध्याय ने कुछ राजनीतिक निर्णय लिया था. जब सीजेआई ने दवे को हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश के खिलाफ दलीलें देने से रोकने की कोशिश की, तो उन्होंने कहा, ‘यह न्यायपालिका के लिए अरुचिकर है.’ आपको बता दें कि जस्टिस गंगोपाध्याय बाद में बीजेपी में शामिल हो गए.

क्यों नाराज हुए सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना?

सीजेआई खन्ना ने कहा कि श्रीमान दवे. यह अस्वीकार्य है. हमने इस मामले में निष्पक्षता से कार्यवाही शुरू की है. जस्टिस खन्ना ने कहा कि हम राजनीतिक चर्चा में नहीं, बल्कि सबूतों में जा रहे हैं…भारत में कानून यह है कि अवैध रूप से एकत्र किए गए सबूत भी स्वीकार्य हैं.  पीठ ने हाईकोर्ट के फैसले के विरुद्ध 124 याचिकाओं पर सुनवाई की जिनमें एक पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दायर की गई याचिका है.

दोनों पक्षों का प्रतिनिधित्व करते हुए मुकुल रोहतगी, रंजीत कुमार, अभिषेक सिंघवी, दुष्यंत दवे, पीएस पटवालिया, राकेश द्विवेदी, मनिंदर सिंह, श्याम दीवान, प्रशांत भूषण, मीनाक्षी अरोड़ा और करुणा नंदी समेत वरिष्ठ वकीलों ने मामले में बहस की.

चीफ जस्टिस ने इस मामले की जांच करने वाले सीबीआई और पश्चिम बंगाल कर्मचारी चयन समिति के वकीलों से उन व्यक्तियों का आंकड़ा मांगा जिन्हें गलत तरीके से नियुक्ति मिली है. कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश पर सीबीआई ने इस मामले की जांच अपने हाथों में ली थी.

क्या था कोलकाता हाईकोर्ट का फैसला?

हाईकोर्ट ने ओएमआर शीट में छेड़छाड़ और ‘रैंक-जंपिंग’ जैसी अनियमितताओं का हवाला देते हुए पश्चिम बंगाल के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति को अमान्य करार दिया था.

पिछले साल सात मई को शीर्ष अदालत ने राज्य के स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) द्वारा की गई नियुक्तियों पर उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी. हालांकि, शीर्ष अदालत ने सीबीआई को मामले में अपनी जांच जारी रखने की अनुमति दी थी.

यह मामला पश्चिम बंगाल एसएससी द्वारा आयोजित 2016 की भर्ती प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं पर आधारित है, जिसमें 24,640 पदों के लिए 23 लाख अभ्यर्थी उपस्थित हुए थे और कुल 25,753 नियुक्ति पत्र जारी किए गए थे.

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11 February 2025, 09:42 AM IST

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