वंदे मातरम् के 150 साल...आज संसद में होगी बहस, लोकसभा में पीएम मोदी शुरू करेंगे चर्चा
प्रधानमंत्री मोदी लोकसभा में वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर विशेष चर्चा शुरू करेंगे. गीत के इतिहास, महत्व और विवादों पर बहस होगी. कांग्रेस व अन्य दल भी शामिल रहेंगे. वंदे मातरम स्वतंत्रता संग्राम में प्रतिरोध का प्रमुख प्रतीक रहा है.

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को लोकसभा में राष्ट्रगीत वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक विशेष चर्चा की शुरुआत करेंगे. बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा 7 नवंबर 1875 को साहित्यिक पत्रिका बंगदर्शन में पहली बार प्रकाशित इस गीत ने स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. पीएम मोदी इसके ऐतिहासिक महत्व, स्वतंत्रता संग्राम में इसके योगदान और आधुनिक भारत के लिए इसकी प्रासंगिकता पर अपनी बात रख सकते हैं. विपक्ष भी इस विषय पर प्रधानमंत्री के विचारों को लेकर उत्सुक है.
कांग्रेस पर पीएम मोदी की आलोचना
हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने आरोप लगाया था कि वर्ष 1937 के फैजाबाद कांग्रेस अधिवेशन में पार्टी ने वंदे मातरम की कुछ पंक्तियां हटाकर राष्ट्रगीत को टुकड़ों में बांट दिया. उनके अनुसार, इस फैसले ने आगे चलकर विभाजन के बीज बोने का काम किया. कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह निर्णय रवींद्रनाथ टैगोर के सुझाव पर लिया गया था ताकि विभिन्न समुदायों की भावनाओं का सम्मान किया जा सके.
संसद में चर्चा का कार्यक्रम
लोकसभा में वंदे मातरम पर पूरी चर्चा लगभग 10 घंटे चल सकती है, जिसमें से 3 घंटे एनडीए सदस्यों को दिए गए हैं. चर्चा रात तक जारी रहने की संभावना है. वहीं, राज्यसभा में मंगलवार को गृह मंत्री अमित शाह इस विषय पर बात की शुरुआत कर सकते हैं.
सत्र के शुरू होते ही विवाद भी सामने आया. राज्यसभा सचिवालय की ओर से कहा गया था कि संसद परिसर में 'वंदे मातरम' और 'जय हिंद' जैसे शब्दों के उपयोग से परहेज करें. इस पर विपक्ष ने सरकार पर आजादी और एकता के प्रतीकों से दूरी बनाने का आरोप लगाया. शीतकालीन सत्र 19 दिसंबर तक चलेगा और आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर तीखी बहस देखने को मिल सकती है.
कांग्रेस के वक्ता भी होंगे शामिल
लोकसभा में होने वाली चर्चा में कांग्रेस की ओर से आठ प्रमुख नेता हिस्सा ले सकते हैं, जिनमें प्रियंका गांधी वाद्रा, गौरव गोगोई, दीपेंद्र हुड्डा, विमल अकोइजम, प्रनीति शिंदे, प्रशांत पडोले, चमाला रेड्डी और ज्योत्सना महंत शामिल हैं. पार्टी इस चर्चा को अपने ऐतिहासिक दृष्टिकोण और देश की विविधता पर जोर देने के अवसर के रूप में देख रही है.
वंदे मातरम का अर्थ
वंदे मातरम का अर्थ है, “मां, मैं तुम्हें नमन करता हूं”. यह गीत भारत माता के प्रति सम्मान और समर्पण का प्रतीक माना जाता है.
इसकी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक यात्राएं निम्न प्रकार हैं
- गीत की रचना: 7 नवंबर 1875 – बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय
- उपन्यास आनंदमठ में प्रकाशन: 1882
- रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा कांग्रेस अधिवेशन में पहली प्रस्तुति: 1896
- 1905 में बंगाल विभाजन विरोध के दौरान आंदोलन का नारा
- 1907 में मैडम भीकाजी कामा द्वारा विदेश में ‘वंदे मातरम’ लिखे ध्वज का प्रदर्शन
- वाराणसी कांग्रेस अधिवेशन में इसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों के लिए अपनाना
- 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रगीत का दर्जा
स्वतंत्रता संग्राम में प्रतिरोध का स्वर
वंदे मातरम केवल एक गीत नहीं, बल्कि ब्रिटिश शासन के विरुद्ध विद्रोह का सबसे प्रभावी प्रतीक था. 1905 में बंगाल के रंगपुर में 200 छात्रों ने सामूहिक रूप से यह गीत गाया, जिसके बाद औपनिवेशिक सरकार ने प्रत्येक छात्र पर 5 रुपये का भारी जुर्माना लगाया. दमन के बावजूद यह गीत पूरे भारत में संघर्ष और उभार की प्रेरणा बनता गया.


