CM हो या PM गंभीर मामलों में गिरफ्तारी पर छोड़ना होगा पद!... कल संसद में पेश होगा ऐतिहासिक बिल
केंद्र सरकार 20 अगस्त को संसद में तीन महत्वपूर्ण विधेयक पेश करेगी, जिनमें से एक में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री के गंभीर अपराधों में गिरफ्तारी की स्थिति में उन्हें पद से हटाने की कानूनी व्यवस्था का प्रस्ताव है. वहीं, जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा लौटाने की कोई स्पष्ट योजना नहीं है, हालांकि एक संशोधन बिल सूची में शामिल है.

Resignation law: केंद्र सरकार 20 अगस्त को लोकसभा में तीन महत्वपूर्ण बिल पेश करने जा रही है, जिनमें से एक का उद्देश्य प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों की गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी की स्थिति में उन्हें पद से हटाने के लिए स्पष्ट कानूनी प्रावधान बनाना है.
क्या हैं ये तीन प्रस्तावित बिल?
1. संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025
2. केंद्र शासित प्रदेश शासन (संशोधन) विधेयक, 2025
3. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025
इनमें से पहला बिल संविधान में संशोधन के ज़रिए उस स्थिति को स्पष्ट करेगा जब प्रधानमंत्री, किसी केंद्रीय मंत्री, राज्य के मुख्यमंत्री या मंत्री को गंभीर अपराधों के आरोप में गिरफ्तार कर लंबी हिरासत में रखा जाता है, तो उन्हें पद छोड़ना या हटाया जाना अनिवार्य होगा.
क्या होगा प्रभाव?
यह विधेयक अगर पारित होता है तो भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा. यह न सिर्फ राजनीतिक जवाबदेही को मजबूती देगा, बल्कि आपराधिक मामलों में फंसे नेताओं के इस्तीफे को भी कानूनी रूप देगा, जिससे नैतिकता की उम्मीद अब कानून द्वारा सुनिश्चित की जाएगी.
जम्मू-कश्मीर को लेकर क्या स्थिति है?
हालांकि सूची में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक का उल्लेख जरूर है, पर रिपोर्ट्स के अनुसार राज्य का दर्जा बहाल करने को लेकर कोई स्पष्ट योजना या घोषणा नहीं की गई है. इससे पहले कई अटकलें थीं कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा फिर से मिल सकता है, लेकिन इस बार की कार्यसूची में ऐसा कोई संकेत नहीं है.
केंद्र सरकार का यह कदम राजनीतिक और संवैधानिक दृष्टिकोण से बड़ा माना जा रहा है. यदि बिल पास होते हैं, तो भारत में गंभीर आरोपों में फंसे नेताओं को पद से हटाने की प्रक्रिया और अधिक स्पष्ट व सख्त होगी. अब यह देखना होगा कि संसद में इन विधेयकों को कितना समर्थन मिलता है और क्या यह व्यवस्था लागू हो पाएगी.


