सात महीने बाद जारी हुई मौलाना आज़ाद फेलोशिप, 1,400 से अधिक छात्रों को लाभ
केंद्र सरकार ने मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय फेलोशिप (एमएएनएफ) के तहत अल्पसंख्यक समुदायों के पीएचडी विद्वानों के लिए सात महीने से लंबित वजीफे जारी करने को मंजूरी दे दी है. इससे 1,400 से अधिक छात्रों को राहत मिलेगी, जो जनवरी 2025 से भुगतान की प्रतीक्षा कर रहे थे.

केंद्र सरकार ने मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय फैलोशिप (एमएएनएफ) के तहत लंबित वजीफे जारी करने को मंजूरी दे दी है, जिससे अल्पसंख्यक समुदायों के 1,400 से अधिक पीएचडी स्कॉलर्स को राहत मिली है. ये छात्र जनवरी 2025 से वजीफे की प्रतीक्षा कर रहे थे और सात महीने से अधिक समय से भुगतान रुका हुआ था. इस फैसले से मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी समुदायों के उन उम्मीदवारों को सीधा लाभ मिलेगा जो एमएएनएफ योजना के अंतर्गत आते हैं.
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर इसकी पुष्टि की और कहा, “मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय फ़ेलोशिप के तहत लंबित भुगतान जारी कर दिए गए हैं. यह एक छोटा कदम है, जो बहुतों के लिए बहुत मायने रखता है.” उन्होंने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार की समावेशी नीति का उदाहरण बताया.
एमएएनएफ स्कॉलर्स को बड़ी राहत
एमएएनएफ योजना की शुरुआत 2009 में हुई थी, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (NET) उत्तीर्ण करने वाले अल्पसंख्यक समुदायों के पीएचडी शोधार्थियों को आर्थिक सहायता देना है, जिनकी पारिवारिक आय ₹6 लाख वार्षिक से कम हो. योजना के तहत पहले दो वर्षों में जूनियर रिसर्च फेलो (JRF) को ₹37,000 प्रति माह और इसके बाद के तीन वर्षों में सीनियर रिसर्च फेलो (SRF) को ₹42,000 प्रति माह वजीफा मिलता है. दिसंबर 2023 तक 907 जेआरएफ और 559 एसआरएफ छात्र इस योजना पर निर्भर थे.
केंद्र ने फेलोशिप फंड जारी किया
वजीफा जारी होने में देरी को लेकर शोधार्थियों ने चिंता जताई थी कि इससे उनकी शैक्षणिक प्रगति और जीवन यापन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. इस पर कांग्रेस, सपा और डीएमके समेत विपक्षी दलों के सांसदों ने भी संसद में आवाज उठाई. 3 जून को यह मामला मीडिया में आया था, जिसके बाद दबाव बढ़ा.
अल्पसंख्यक रिसर्च छात्रों को मिलेगी फेलोशिप
मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि देरी की प्रमुख वजहें आधार लिंकिंग, दस्तावेज़ सत्यापन और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा चल रही जांच थीं. यूजीसी द्वारा 2022 में नोडल जिम्मेदारी एनएमडीएफसी को हस्तांतरित करने के बाद प्रशासनिक बदलाव भी समस्या बने. इस साल फेलोशिप बजट में 4.9% कटौती भी की गई थी. अब वित्त मंत्रालय के निर्देश के बाद अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को धन जारी करने की अनुमति दे दी गई है. इससे छात्रों को राहत मिलेगी और उनकी शिक्षा निर्बाध रूप से आगे बढ़ सकेगी.


