चुनाव से पहले बिहार में बड़ा पॉलिटिकल शिफ्ट, प्रशांत किशोर की पार्टी में शामिल हुए पूर्व जेडीयू नेता RCP सिंह
पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने अपनी पार्टी ‘आप सबकी आवाज़’ का विलय प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी में कर दिया. आरसीपी सिंह, जो पहले जेडीयू और फिर बीजेपी में रह चुके हैं, अब जन सुराज के साथ मिलकर बिहार के विकास के लिए काम करेंगे. प्रशांत किशोर ने उनका स्वागत किया और इसे एक सकारात्मक कदम बताया. राजद नेता तेजस्वी यादव ने इस पर तंज कसा और इसे पुराने जेडीयू नेताओं का पुनर्मिलन बताया.

बिहार की सियासत में एक नया मोड़ तब आया जब जनता दल (यूनाइटेड) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने अपनी पार्टी 'आप सबकी आवाज़' का विलय प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी में कर दिया. इस फैसले से जहां बिहार की राजनीति में हलचल मच गई, वहीं राजनीतिक समीकरणों में भी बदलाव की अटकलें लगाई जा रही हैं.
प्रशांत किशोर का स्वागत, साझे लक्ष्य की बात
जन सुराज अभियान के संस्थापक और रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने आरसीपी सिंह का गर्मजोशी से स्वागत करते हुए कहा, "आरसीपी सिंह मेरे लिए बड़े भाई की तरह हैं. वे बिहार की राजनीति और समाज की गहरी समझ रखते हैं." उन्होंने कहा कि राज्य को एक विकसित और सशक्त बिहार बनाने की दिशा में दोनों मिलकर काम करेंगे. जन सुराज की यह नई राजनीतिक साझेदारी राज्य की आगामी राजनीति में प्रभावशाली भूमिका निभा सकती है.
अपनी पार्टी छोड़ने का फैसला क्यों?
करीब सात महीने पहले, यानी नवंबर 2024 में, आरसीपी सिंह ने 'आप सबकी आवाज़' नाम से अपनी स्वतंत्र राजनीतिक पार्टी बनाई थी. उन्होंने उस वक्त यह घोषणा की थी कि उनकी पार्टी लोगों की असल समस्याओं को उठाएगी और बिहार में नए राजनीतिक विकल्प की पेशकश करेगी. हालांकि, पार्टी को जनसमर्थन नहीं मिला और उन्होंने अब जन सुराज में शामिल होकर आगे की राजनीति को नया रास्ता देने का फैसला किया.
आरसीपी सिंह का राजनीतिक सफर
आरसीपी सिंह भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी रहे हैं. उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ एक दशक से भी अधिक समय तक काम किया. 2010 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद वे सक्रिय राजनीति में आए और जेडीयू में शामिल हो गए. इसके बाद उन्हें दो बार राज्यसभा का सदस्य बनाया गया और केंद्र सरकार में मंत्री पद भी मिला. लेकिन नीतीश कुमार से रिश्तों में खटास आने के बाद, 2023 में उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया.
तेजस्वी यादव का तंज
इस राजनीतिक घटनाक्रम पर विपक्ष ने भी प्रतिक्रिया देने में देर नहीं की. राजद नेता तेजस्वी यादव ने व्यंग्य करते हुए कहा, "दोनों पहले जेडीयू में थे. एक राष्ट्रीय उपाध्यक्ष था और दूसरा अध्यक्ष. बिहार की जनता समझती है कि यह सब कैसे और किसके इशारे पर हो रहा है." उन्होंने इस गठबंधन को पुराने जेडीयू नेताओं की सियासी वापसी का प्रयास बताया.
क्या बदलेंगे राजनीतिक समीकरण?
आरसीपी सिंह जैसे अनुभवी नेता के शामिल होने से जन सुराज को नई राजनीतिक ताकत मिल सकती है. पार्टी अब एक मजबूत नेतृत्व और प्रशासनिक अनुभव से लैस हो गई है. जानकारों का मानना है कि यह गठबंधन उन मतदाताओं को आकर्षित कर सकता है जो पारंपरिक दलों से निराश हैं और नए विकल्प की तलाश में हैं.