BookMyShow और PVR को राहत, बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुविधा शुल्क पर लगी पाबंदी हटाई
महाराष्ट्र में BookMyShow और PVR को बड़ी राहत मिली है. 2014 में राज्य सरकार ने ऑनलाइन टिकट बुकिंग पर सुविधा शुल्क लेने पर रोक लगाई थी, लेकिन मामला कोर्ट में लंबित था. अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह पाबंदी रद्द कर दी है, जिससे थिएटर मालिक शुल्क ले सकेंगे.

अगर आप फिल्मों के शौकीन हैं और ऑनलाइन टिकट बुकिंग को सुविधाजनक मानते हैं, तो यह खबर आपके लिए खास है. महाराष्ट्र सरकार द्वारा ऑनलाइन फिल्म टिकट बुकिंग पर लगाए गए सुविधा शुल्क (Convenience Fee) पर प्रतिबंध को अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है. इस फैसले से BookMyShow, PVR जैसे प्लेटफॉर्म और मल्टीप्लेक्स मालिकों को बड़ी राहत मिली है.
बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस महेश सोनक और जस्टिस जितेंद्र जैन की बेंच ने महाराष्ट्र सरकार के अप्रैल 2013 और मार्च 2014 के उन आदेशों को खारिज कर दिया है, जिनमें थिएटर मालिकों को ग्राहकों से सुविधा शुल्क वसूलने से रोका गया था. अदालत ने कहा कि यह आदेश संविधान के अनुच्छेद 19(1)(जी) के तहत मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, जो नागरिकों को व्यापार और व्यवसाय करने की स्वतंत्रता देता है.
सुविधा शुल्क पर अब नहीं रोक
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकार के पास ऐसा कोई वैधानिक आधार नहीं था, जिसके तहत वह व्यवसाय करने के एक पहलू – सुविधा शुल्क – को नियंत्रित कर सके. अदालत ने यह भी कहा कि यदि व्यापारियों को उनके व्यवसाय से जुड़े फैसले लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी, तो आर्थिक गतिविधियाँ रुक सकती हैं.
बॉम्बे HC ने महाराष्ट्र सरकार का आदेश रद्द किया
यह मामला पीवीआर लिमिटेड, बिग ट्री एंटरटेनमेंट (BookMyShow), और फिक्की-मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा दायर याचिकाओं के आधार पर अदालत में पहुंचा था. याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि ऑनलाइन बुकिंग एक वैकल्पिक सेवा है, जिसमें तकनीकी विकास, प्लेटफॉर्म निर्माण और रख-रखाव पर खर्च होता है. यदि कोई ग्राहक यह शुल्क नहीं देना चाहता है, तो वह थिएटर जाकर बॉक्स ऑफिस से टिकट ले सकता है.
BookMyShow, PVR की याचिका पर जीत
सरकार के आदेश के खिलाफ यह मामला कई वर्षों से कोर्ट में लंबित था. 2014 में हाईकोर्ट ने इन आदेशों के अमल पर रोक लगा दी थी, जिससे थिएटर मालिक तब से सुविधा शुल्क वसूलते आ रहे थे. अब कोर्ट के अंतिम फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि व्यवसायी ग्राहकों से सुविधा शुल्क वसूल सकते हैं, बशर्ते उपभोक्ता के पास विकल्प मौजूद रहे. इस फैसले से व्यवसाय की स्वतंत्रता को बल मिला है और उपभोक्ताओं को भी यह समझने का अवसर मिला है कि ऑनलाइन सेवा का उपयोग करना उनकी अपनी पसंद है – इसके लिए अतिरिक्त शुल्क देना भी उसी का हिस्सा है.


