संविधान बनाम दीन... मुफ्ती नदवी के बयान पर बवाल, कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने की सख्त कार्रवाई की मांग
मुफ्ती शमाइल नदवी के संविधान और दीन को लेकर दिए गए बयान का वीडियो वायरल होने के बाद विवाद बढ़ गया है. कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने कार्रवाई की मांग की. वहीं, कई संगठनों ने बयान को संविधान विरोधी बताया.

ईश्वर के अस्तित्व पर एक सार्वजनिक बहस में शामिल रहे मुफ्ती शमाइल नदवी अब अपने एक विवादित बयान को लेकर सुर्खियों में हैं. उनके बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद राजनीतिक और सामाजिक वर्ग के लोगों के बीच तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजीव शुक्ला ने भी इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग की है.
मुफ्ती शमाइल नदवी ने अपने बयान में कहा कि भारत में मुसलमानों ने लंबे समय तक गलत दिशा अपनाई. उनके अनुसार, मुसलमानों को यह गलतफहमी रही कि सेकुलर शासन और राजनीतिक दल उनके हितों की रक्षा करेंगे, जबकि ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि मुसलमानों ने अपने दीन से ऊपर संविधान को रखा, जो उनके हिसाब से एक गलत सोच थी.
बयान का वीडियो वायरल
इस बयान का वीडियो मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन के चेयरमैन शुजात अली कादरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर साझा किया. वीडियो वायरल होते ही इस पर बहस शुरू हो गई. कई लोगों ने इसे संविधान और देश की एकता के खिलाफ बताया. कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने भी इस वीडियो को रीपोस्ट करते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने लिखा कि संविधान से ऊपर कुछ भी नहीं है और ऐसे बयान देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.
'संविधान बनाम दीन' पर बहस
मुफ्ती नदवी के बयान पर आपत्ति इसलिए जताई जा रही है क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर संविधान और देश से ऊपर धर्म को रखने की बात कही. यह मुद्दा पहले भी कई बार उठ चुका है कि क्या किसी भी धर्म को देश और संविधान से ऊपर रखा जा सकता है. नदवी के बयान ने इस बहस को एक बार फिर तेज कर दिया है.
शुजात अली कादरी ने जताया विरोध
शुजात अली कादरी ने मुफ्ती नदवी के बयान को भारत के संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया. उन्होंने साफ कहा कि भारत का मुसलमान न तो किसी धार्मिक शासन का समर्थक है और न ही वहाबी शरीयत के नाम पर किसी कट्टर सोच को स्वीकार करता है. कादरी ने यह भी लिखा कि भारत के मुसलमानों का रास्ता संविधान, लोकतंत्र और समान अधिकारों पर आधारित है. उनके अनुसार, इस तरह के बयान संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19 और 25 की भावना के खिलाफ हैं और भारतीय न्याय संहिता की संबंधित धाराओं के तहत दंडनीय हो सकते हैं.


