दिल्ली यूनिवर्सिटी ने हटाए पाकिस्तान-चीन पर आधारित पाठ्यक्रम, सिख शहादत पर नया कोर्स शुरू

दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) ने अपने पोस्टग्रेजुएट राजनीतिक विज्ञान पाठ्यक्रम से पाकिस्तान,चीन, इस्लाम और राजनीतिक हिंसा से जुड़े पांच कोर्स हटाने का फैसला किया है.विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद ने शनिवार को इस प्रस्ताव को मंजूरी दी.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) की अकादमिक परिषद (Academic Council) ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए राजनीतिक विज्ञान विभाग के पीजी पाठ्यक्रम से पाकिस्तान, चीन, इस्लाम और राजनीतिक हिंसा से जुड़े पांच पेपर हटा दिए हैं. इसके साथ ही विश्वविद्यालय ने "सिख शहादत" पर आधारित एक नया इतिहास कोर्स शुरू करने की भी मंजूरी दे दी है, जो जनरल इलेक्टिव (GE) श्रेणी में पढ़ाया जाएगा.

यह फैसला विश्वविद्यालय की स्थायी समिति की जून में हुई बैठक में लिए गए प्रस्ताव पर आधारित है. नई दिशा में उठाया गया यह कदम विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों में वैचारिक बदलाव की ओर संकेत करता है, जिसे लेकर शिक्षकों के एक वर्ग ने असहमति भी जताई है.

हटाए गए ये पांच कोर्स

DU की स्थायी समिति द्वारा जून में प्रस्तावित और अब अकादमिक परिषद द्वारा अनुमोदित पाठ्यक्रमों में से निम्नलिखित को हटा दिया गया है:

पाकिस्तान और विश्व

समकालीन विश्व में चीन की भूमिका

इस्लाम और अंतर्राष्ट्रीय संबंध

पाकिस्तान: राज्य और समाज

धार्मिक राष्ट्रवाद और राजनीतिक हिंसाॉ

विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुसार, इन पाठ्यक्रमों को हटाकर राजनीतिक विज्ञान के पाठ्यक्रम को नए ऐतिहासिक और सामाजिक दृष्टिकोणों के साथ अद्यतन किया जा रहा है.

"सिख शहादत" पर होगा नया कोर्स

DU ने भारतीय इतिहास में “सिख शहादत” पर एक नया कोर्स शुरू करने को भी मंजूरी दी है. यह कोर्स "Centre for Independence and Partition Studies (CIPS)" के तहत संचालित किया जाएगा. प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि “इस कोर्स का उद्देश्य सिख समुदाय के ऐतिहासिक संघर्षों, धार्मिक उत्पीड़न और राज्य सत्ता के खिलाफ प्रतिरोध की घटनाओं को समझना है.” विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने कहा, “यह कोर्स उभरते इतिहास में मौजूद खामियों को समझने और सिख शहादत के उपेक्षित सामाजिक-धार्मिक पहलुओं को उजागर करने में मदद करेगा.”

रिसर्च प्रोजेक्ट के लिए नई गाइडलाइंस लागू

अकादमिक परिषद ने फाइनल ईयर अंडरग्रेजुएट छात्रों के लिए रिसर्च प्रोजेक्ट, डिसर्टेशन और एंटरप्रेन्योरशिप से जुड़े कार्यों की निगरानी की प्रक्रिया को भी स्वीकृति दे दी है.

गाइडलाइंस के अनुसार:

“PhD धारक हों या नहीं, सभी फैकल्टी मेंबर छात्रों के रिसर्च, प्रोजेक्ट या एंटरप्रेन्योरशिप का पर्यवेक्षण कर सकते हैं.” हर छात्र के लिए एक एडवाइजरी कमेटी बनाई जाएगी और एक शिक्षक अधिकतम 10 छात्रों का पर्यवेक्षण कर सकता है. हालांकि कॉलेज की रिसर्च कमेटी (RCC) विशेष परिस्थिति में यह संख्या बढ़ा सकती है.

शिक्षकों की आपत्ति भी दर्ज

हालांकि इस प्रस्ताव पर कुछ सदस्यों ने आपत्ति दर्ज कराई. एक असहमति पत्र में चार सदस्यों ने कहा, “गाइडलाइंस में डिसर्टेशन गाइडेंस को लेकर कोई स्पष्ट समय प्रबंधन नहीं किया गया है, जबकि शिक्षकों पर पहले से ही 14-16 घंटे की प्रत्यक्ष शिक्षण लोड है.” उन्होंने सुझाव दिया कि एक शिक्षक अधिकतम तीन-चार छात्रों को ही गाइड करे और अतिथि फैकल्टी को भी इसमें शामिल किया जाए.

पुराने छात्रों को मिली दो साल की मोहलत

DU ने 2016-2017 सत्र में दाखिला लेने वाले छात्रों को बैकलॉग क्लियर करने के लिए दो साल का अतिरिक्त समय देने का भी निर्णय लिया है. यह कदम उन छात्रों को राहत देगा जो अब तक अपनी डिग्री पूरी नहीं कर पाए हैं.

स्किल कोर्स के रूप में शुरू होगा रेडियो जॉकी प्रशिक्षण

विश्वविद्यालय "रेडियो जॉकीइंग" को स्किल एन्हांसमेंट कोर्स (SEC) के रूप में शुरू करने जा रहा है. इस कोर्स में छात्रों को वॉइस ट्रेनिंग, उच्चारण सुधार, स्टूडियो संचालन और लाइव शो होस्टिंग जैसे कार्यों का प्रशिक्षण मिलेगा.

SWAYAM और MOOCs को लेकर विरोध

UGC की संशोधित 2021 अधिसूचना के तहत, विश्वविद्यालय अब कुल पाठ्यक्रम का 40% SWAYAM प्लेटफॉर्म के माध्यम से पढ़ा सकता है. प्रस्ताव में कहा गया कि “2025-26 से UG छात्रों को कुल क्रेडिट का 5% (176 में से 8 क्रेडिट) SWAYAM और MOOCs से अर्जित करने की छूट दी जाए.” हालांकि इस प्रस्ताव का कई AC सदस्यों ने कड़ा विरोध किया. सदस्य माया जॉन ने कहा, “इससे विश्वविद्यालय के शैक्षणिक मानकों को गंभीर खतरा पहुंचेगा. इस मुद्दे पर विचार के लिए समिति गठित की गई है.”

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06 July 2025, 09:10 AM IST

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