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चुनाव आयोग को न दी जाएं अनियंत्रित शक्तियां, एक देश-एक चुनाव पर बोले पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ और जस्टिस खेहर

पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और जे.एस. खेहर ने "एक राष्ट्र, एक चुनाव" पर जेपीसी के सामने चुनाव आयोग को अत्यधिक अधिकार देने पर चिंता जताई. उन्होंने संवैधानिक संतुलन, निगरानी तंत्र और सरकार के पूर्ण कार्यकाल की आवश्यकता पर ज़ोर दिया. विपक्षी दलों ने इसे संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताया है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और जे.एस. खेहर ने "एक राष्ट्र, एक चुनाव" प्रणाली पर संसदीय समिति के सामने गंभीर आशंकाएं व्यक्त की हैं. उनका कहना है कि चुनाव आयोग को इस प्रणाली के कार्यान्वयन के लिए अनियंत्रित अधिकार देना लोकतांत्रिक संतुलन को खतरे में डाल सकता है.

जेपीसी के सामने रखी अपनी राय

दोनों पूर्व मुख्य न्यायाधीश संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) की बैठक में उपस्थित हुए और संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 तथा केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 पर अपना नजरिया प्रस्तुत किया. जेपीसी इन दोनों विधेयकों की समीक्षा कर रही है, जिनका उद्देश्य देशभर में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराना है.

अधिकारों में नियंत्रण की जरूरत

सूत्रों के मुताबिक, दोनों पूर्व न्यायाधीशों ने सुझाव दिया कि चुनाव आयोग को प्रस्तावित कानूनों के तहत बिना किसी निगरानी के व्यापक शक्तियां न दी जाएं. उन्होंने कहा कि "नियंत्रण और संतुलन" का तंत्र बनाए रखना जरूरी है ताकि संवैधानिक ढांचे में शक्ति का दुरुपयोग न हो.

इससे पहले भी, पूर्व CJI रंजन गोगोई ने चुनाव आयोग को दी जाने वाली 'व्यापक शक्तियों' पर सवाल उठाया था और सुझाव दिया था कि एक निगरानी प्रणाली आवश्यक है ताकि निष्पक्षता बनी रहे.

सरकार को पूर्ण कार्यकाल जरूरत

सूत्रों ने बताया कि एक पूर्व न्यायाधीश ने विशेष रूप से पांच साल के कार्यकाल को लोकतांत्रिक शासन के लिए आवश्यक बताया. उन्होंने कहा कि किसी भी परिस्थिति में सरकार का कार्यकाल छोटा नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे सुशासन और विकासात्मक योजनाओं पर असर पड़ता है.

डी.वाई. चंद्रचूड़ पहले ही यह कह चुके हैं कि यदि सरकार का कार्यकाल एक वर्ष या उससे कम रह जाए, तो नीति निर्माण और कार्यान्वयन असंभव हो जाएगा, क्योंकि छह महीने पहले ही आचार संहिता लागू हो जाती है.

कई न्यायविद रख चुके हैं अपनी राय

भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित और रंजन गोगोई भी इससे पहले जेपीसी के समक्ष पेश होकर इस विषय पर अपनी राय दे चुके हैं. शुक्रवार को समिति की यह आठवीं बैठक थी, जिसमें विधेयक की बारीकी से समीक्षा की गई.

पीपी चौधरी का बयान

जेपीसी के अध्यक्ष और भाजपा सांसद पीपी चौधरी ने कहा कि देशभर में नेताओं और राज्यों में "एक राष्ट्र, एक चुनाव" का समर्थन देखा गया है. उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र जैसे राज्यों में उन्होंने मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्रियों, विधानसभा अधिकारियों, राजनीतिक दलों और नागरिक समाज से मुलाकात की. अधिकांश ने इस विचार का समर्थन किया, हालांकि कुछ राजनीतिक दलों ने राष्ट्रीय बनाम स्थानीय मुद्दों को लेकर चिंता जताई.

विपक्ष की आशंका

कुछ विपक्षी दलों ने इस प्रस्ताव को संविधान के मूल ढांचे के विरुद्ध बताया है. लेकिन, समिति के समक्ष उपस्थित हुए कानूनी विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया कि संविधान में कहीं यह नहीं कहा गया है कि राज्य और राष्ट्रीय चुनाव अलग-अलग ही होने चाहिए.

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11 July 2025, 05:24 PM IST

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