अमेरिका से टैरिफ तनाव के बीच रूस से तेल आयात बढ़ाएगा भारत, ये कंपनियां कर सकती हैं खरीद में इजाफा
भारत सितंबर में रूस से कच्चे तेल का आयात 10–20% तक बढ़ा सकता है. यूक्रेन युद्ध के चलते रूस ने कीमतों में कटौती की है. अमेरिकी टैरिफ दबाव के बावजूद भारत ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहा है. रूसी तेल भारत की जरूरतों का 40% पूरा करता है और इसके बंद होने से वैश्विक बाजार पर बड़ा असर पड़ेगा.

India Russia oil imports: भारत सितंबर में रूसी कच्चे तेल का आयात बढ़ा सकता है. अगस्त के स्तर की तुलना में यह वृद्धि लगभग 10–20% की हो सकती है. यह तब हो रहा है जब यूक्रेन पर हुए ड्रोन हमलों ने रूस की रिफाइनरियों को प्रभावित किया है, जिससे उनकी प्रोसेसिंग क्षमता प्रभावित हुई और रूस ने कच्चे तेल की कीमत में कटौती कर दी.
रूस से सस्ता तेल
पश्चिमी प्रतिबंधों के चलते 2022 के बाद से रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है. इस कच्चे तेल की किफायती कीमतों ने भारत की रिफाइनरियों रिलायंस और नायरा एनर्जी को लागत को नियंत्रित रखने में मदद की है. हालांकि, इस व्यापार की राजनीतिक आलोचना भी हो रही है क्योंकि अमेरिकी प्रशासन ने भारत पर 50% टैरिफ लगा दिया है, जो रूस-तेल खरीद के खिलाफ एक कदम है
भारत का संतुलित रुख
भारतीय अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि वे व्यापारिक तनावों को बातचीत से हल करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि प्रधानमंत्री मोदी रूसी राष्ट्रपति पुतिन सहित अन्य वैश्विक नेताओं के साथ संबंध मजबूत कर रहे हैं. विदेश मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि कई पश्चिमी देश भी रूस से ऊर्जा ले रहे हैं, पर उन पर चुनिंदा तरीके से कार्रवाई नहीं की जा रही है
रूसी तेल का आयात डेटा
उद्योग आंकड़ों के अनुसार, अगस्त के पहले 20 दिनों में भारत ने रोज़ाना लगभग 15 लाख बैरल रूसी कच्चे तेल का आयात किया, जो जुलाई के स्तर जितना ही था, हालांकि यह जनवरी-जून के औसत से थोड़ा कम है. रूस अब भारत की कुल तेल मांग का लगभग 40% पूरा करता है, जिससे वह प्रमुख आपूर्तिकर्ता बन चुका है
कैसे बढ़ रही है छूट?
व्यापारियों के मुताबिक, सितंबर लोडिंग के लिए रूसी यूराल क्रूड पर ब्रेंट मुकाबले 2–3 डॉलर प्रति बैरल की छूट मिल रही है, जो अगस्त की 1.5 डॉलर की छूट से अधिक है. यह बढ़ी हुई छूट रिलायंस और नायरा एनर्जी जैसे रिफाइनरियों द्वारा खरीद बढ़ाने के लिए प्रमुख प्रेरक हो सकती है
अगर खरीद हुई बंद तो क्या होगा असर?
एक रिपोर्ट कहती है कि यदि भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर देता है, तो वैश्विक क्रूड आपूर्ति में दैन-दिन लगभग 10 लाख बैरल की कमी आ सकती है और कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं. फिलहाल व्यापारियों को उम्मीद है कि भारत का प्रबल आयात अक्टूबर तक जारी रहेगा, बावजूद इसके कि अमेरिकी टैरिफ और ईयू की सख्त नीति के प्रभाव अंतवर्ष की शिपमेंट में दिखाई दे सकते हैं.


