अपमान नहीं, अपराध है! कोर्ट ने ''r***i' शब्द पर सुनाया सख्त फैसला
"महिलाओं को 'रं..#' कहकर गाली देना अब सिर्फ एक अपमान नहीं, बल्कि एक कानूनी अपराध है. दिल्ली की एक अदालत ने ऐसा ही एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आरोपी को फटकार लगाई और साफ कहा कि इस तरह की भाषा महिलाओं की गरिमा पर सीधा हमला है.

दिल्ली की एक अदालत ने महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक भाषा के प्रयोग को लेकर सख्त रुख अपनाते हुए साफ किया है कि किसी महिला को “रं..*” जैसे शब्द से संबोधित करना केवल साधारण गाली नहीं, बल्कि उसकी गरिमा पर सीधा हमला है. अदालत ने इसे भारतीय दंड संहिता की धारा 509 के तहत अपराध करार दिया और आरोपी को दोषी ठहराया. यह मामला 2021 का है, जिसमें आरोपी विक्रांत ग्रेवाल पर एक महिला को फोन पर अश्लील भाषा में धमकाने और गाली देने का आरोप था.
द्वारका कोर्ट के न्यायिक मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास (JMFC) हरजोत सिंह ऑजिला ने इस मामले में सुनवाई करते हुए आरोपी को फटकार लगाई और कहा कि इस तरह की भाषा न सिर्फ आपत्तिजनक है, बल्कि यह एक मेहनतकश महिला की सामाजिक प्रतिष्ठा को गहरे आघात पहुंचाती है.
महिला के लिए इस्तेमाल किया गया अपशब्द
अदालत ने कहा कि “रं..*” शब्द किसी भी सामान्य अपशब्द से कहीं अधिक गंभीर है. इसका प्रयोग उस महिला के खिलाफ यौन रूप से अपमान करने और उसके चरित्र पर सवाल उठाने के लिए किया गया है. अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा, “जब इस शब्द का इस्तेमाल किसी महिला के लिए किया जाता है, तो इसका अर्थ होता है कि वह बेवफा और चरित्रहीन है. यह सीधे तौर पर एक महिला की यौन स्वतंत्रता और सामाजिक मर्यादा पर हमला करता है.”
“दरवाजा खोल, नहीं तो गोली मार दूंगा”
2021 में दर्ज एफआईआर के अनुसार, आरोपी विक्रांत ग्रेवाल ने पीड़िता को फोन पर धमकी देते हुए कहा कि दरवाजा खोल दे, मुझे तेरे साथ सेक्स करना है. “रं..*” तुझे मैं बताऊंगा, बहुत समझदार अपने को समझती है. दरवाजा खोल दे नहीं तो मैं तुझे छोड़ूंगा नहीं. अदालत ने माना कि इस तरह की भाषा सिर्फ मौखिक अपमान नहीं है, बल्कि आईपीसी की धारा 503 (आपराधिक धमकी) और 509 (शब्दों या हावभाव से महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना) के तहत आपराधिक कृत्य है.
घर तक पहुंचा आरोपी
पीड़िता ने अदालत को बताया कि आरोपी कई बार उसके घर आकर दरवाजा खोलने की मांग करता था, जिससे वह और उसका परिवार लगातार डर और तनाव में था. पीड़िता अपने पति और बेटी के साथ किराए के मकान में रहती है. उसने आरोपी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके आधार पर मामला कोर्ट में पहुंचा.
वकील ने दी 'मनगढ़ंत केस' की दलील
आरोपी के वकील ने अदालत में यह तर्क दिया कि पूरा मामला झूठा और बनावटी है, और साक्ष्यों में विरोधाभास हैं. लेकिन अदालत ने स्पष्ट किया कि उपलब्ध ऑडियो साक्ष्य, पीड़िता की शिकायत और गवाही इस अपराध को साबित करने के लिए पर्याप्त हैं.
महिलाओं की गरिमा से खिलवाड़ नहीं चलेगा
इस फैसले के माध्यम से अदालत ने स्पष्ट संदेश दिया है कि महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक भाषा और धमकियों को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. ऐसे मामलों में सख्त कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी, ताकि समाज में महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा कायम रह सके.


