रास्ता बंद, श्रद्धालु परेशान... भूस्खलन ने रोकी आदि कैलाश यात्रा
Kailash Yatra landslide: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में आदि कैलाश यात्रा मार्ग पर भूस्खलन के चलते सैकड़ों श्रद्धालु फंस गए हैं. तेज बारिश के कारण हुए इस भूस्खलन ने यात्रा मार्ग को पूरी तरह बाधित कर दिया है. श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

Kailash Yatra landslide: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में आदि कैलाश यात्रा मार्ग पर भूस्खलन के कारण सैकड़ों श्रद्धालु और स्थानीय लोग फंस गए हैं. यह भूस्खलन यात्रा मार्ग को पूरी तरह बाधित कर चुका है, जिससे न केवल यात्री बल्कि क्षेत्रीय निवासी भी प्रभावित हुए हैं.
मौके पर बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) की टीम पहुंच चुकी है और मलबा हटाने के लिए तेजी से राहत कार्य किया जा रहा है. प्रशासन लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है और रास्ता बहाल करने की कोशिशें जारी हैं.
भूस्खलन से बाधित हुआ आदि कैलाश यात्रा मार्ग
पिथौरागढ़ जिले से होकर जाने वाले आदि कैलाश यात्रा मार्ग पर आए भूस्खलन ने यात्रा को पूरी तरह रोक दिया है. भारी मात्रा में गिरे मलबे के कारण सड़क पर यातायात अवरुद्ध हो गया है, जिससे सैकड़ों श्रद्धालु और स्थानीय लोग फंसे हुए हैं.
BRO कर रहा है युद्धस्तर पर राहत कार्य
घटना की सूचना मिलते ही बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) की टीम मौके पर पहुंची और सड़क से मलबा हटाने का कार्य युद्धस्तर पर शुरू कर दिया गया. BRO के एक अधिकारी ने बताया, "हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि जल्द से जल्द रास्ता साफ कर दिया जाए ताकि फंसे हुए लोगों को सुरक्षित निकाला जा सके."
राहत कार्य जारी
स्थानीय प्रशासन भी स्थिति पर नजर बनाए हुए है और यात्रियों की सहायता के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं. एक प्रशासनिक अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा, "हम लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं और राहत कार्यों में BRO की पूरी मदद कर रहे हैं. फंसे हुए यात्रियों के लिए भोजन और चिकित्सा सुविधा की व्यवस्था की गई है."
आदि कैलाश यात्रा का महत्व
आदि कैलाश यात्रा हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र यात्रा मानी जाती है, जो उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में स्थित है. पंच कैलाश में आदि कैलाश को दूसरा सबसे पवित्र स्थान माना जाता है. यात्रा मार्ग का अधिकांश हिस्सा मोटरेबल है, लेकिन कुछ हिस्सों में पैदल यात्रा करनी पड़ती है.
यह यात्रा समुद्र तल से 5,945 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. मानसून के दौरान यह क्षेत्र अक्सर भारी भूस्खलन की चपेट में आ जाता है, जिससे यात्रा मार्ग बाधित हो जाता है.


