score Card

बेंगलुरु के 1000 साल पुराने चोल मंदिर में शादी पर लगी रोक! वजह सुनकर रह जाएंगे दंग

बेंगलुरु के प्रसिद्ध 12वीं सदी के सोमेश्वर मंदिर में अब शादियां करवाना पूरी तरह बंद कर दिया है. वजह चौंकाने वाली है. मंदिर के पुजारी अब पूजा-पाठ से ज्यादा समय कोर्ट-कचहरी में बिताने लगे थे. एलोप करके आने वाले जोड़े फर्जी डॉक्यूमेंट दिखाते, शादी करवाते और बाद में तलाक के केस में मंदिर को भी घसीट लिया जाता. बढ़ते डिवोर्स के मामलों और कानूनी झंझटों से तंग आकर, चोल काल के इस ऐतिहासिक मंदिर ने फैसला लिया है.

Goldi Rai
Edited By: Goldi Rai

नई दिल्ली: बेंगलुरु के सबसे प्राचीन मंदिरों में शुमार चोलकालीन सोमेश्वर स्वामी मंदिर ने पिछले कुछ वर्षों से विवाह समारोहों की अनुमति देना बंद कर दिया है. इस ऐतिहासिक मंदिर में सदियों से जारी शादी कराने की परंपरा लगभग छह–सात साल पहले रोक दी गई थी, लेकिन भक्तों में इस फैसले को लेकर काफी भ्रम बना हुआ था. अब खुलासा हुआ है कि तलाक के बढ़ते मामलों में पुजारियों को बार-बार कोर्ट में गवाही देने के लिए बुलाया जाने लगा, जिससे मंदिर के धार्मिक कार्य बाधित हो रहे थे.

उल्सूर और हलसूरु मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध यह चोल युग का मंदिर बेंगलुरु में हिंदू विवाहों का एक प्रमुख और शुभ स्थल माना जाता रहा है. लेकिन हाल के वर्षों में बढ़ते विवादों और कानूनी जटिलताओं ने मंदिर प्रशासन को अपने लंबे समय से चली आ रही परंपरा पर विराम लगाने के लिए मजबूर कर दिया.

सदियों पुरानी विवाह परंपरा क्यों रुकी?

हालसूरु सोमेश्वर मंदिर, जो 12वीं सदी में स्थापित हुआ और भगवान शिव को समर्पित है, वर्षों तक शहर में विवाह संस्कारों का पवित्र केंद्र रहा है. यहां प्रतिवर्ष सैकड़ों जोड़े मंदिर के गोपुरम के नीचे वैदिक रीति से विवाह बंधन में बंधते थे. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में बढ़ते तलाक मामलों ने पुजारियों की व्यस्तता को धार्मिक सेवाओं से अधिक कोर्ट-कचहरी में बांधना शुरू कर दिया. रिपोर्टों के अनुसार, केवल पिछले दो वर्षों में मंदिर से जुड़े 50 से अधिक तलाक-संबंधी शिकायतें दर्ज हुईं, जबकि एक दशक पहले यह संख्या सालाना पांच से भी कम थी.

बनावटी डॉक्यूमेंट और भागकर शादी करने वाले जोड़ों की बढ़ीं परेशानियां

मंदिर के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी वी. गोविंदराजू ने मीडिया को बताया कि कई युवा जोड़े घर से भागकर आते हैं और शादी के लिए फर्जी डॉक्यूमेंट जमा करते हैं. उन्होंने कहा कि कई जोड़े घर से भाग जाते हैं और शादी करने के लिए जाली दस्तावेज पेश करते हैं। कुछ दिनों बाद, इन जोड़ों के माता-पिता आ जाते हैं, और कुछ मामलों में, अदालती मुकदमे दायर किए जाते हैं. इसी कारण कई बार परिवारों और जोड़ों के बीच विवाद बढ़ता है और मामला अदालत तक पहुंच जाता है. मंदिर प्रशासन का कहना है कि ऐसे मामलों से मंदिर की छवि पर असर पड़ता है. इसलिए यह कदम उठाना आवश्यक हो गया.

पुजारियों की कोर्ट गवाही में बढ़ी दिक्कत

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मंदिर के कार्यकारी अधिकारी ने मुख्यमंत्री के विशेष ड्यूटी अधिकारी को जारी आधिकारिक पत्र में बताया कि तलाक मामलों में पुजारियों को गवाह के रूप में बार-बार कोर्ट में पेश होना पड़ रहा था, जिससे उनके धार्मिक दायित्व प्रभावित हो रहे थे. इन्हीं कारणों से विवाह समारोहों पर अस्थायी रोक लगाई गई है.

भक्तों में मिली-जुली प्रतिक्रिया

इस फैसले पर भक्तों की राय बंटी हुई है. कुछ लोग मंदिर प्रशासन की सतर्कता और मंदिर की गरिमा बचाने के निर्णय की सराहना कर रहे हैं, जबकि अन्य इसे सांस्कृतिक परंपरा में अनावश्यक दखल मान रहे हैं.

दक्षिण भारत में मंदिरों में विवाह को अत्यंत शुभ माना जाता है, और सरलता से होने वाले इन संस्कारों के लिए पुराने मंदिर विशेष पसंद किए जाते हैं. लेकिन तलाक के बढ़ते मामलों और पुजारियों की कानूनी उलझनों ने सोमेश्वर मंदिर को नए विवाह आयोजित करने से रोकने पर मजबूर कर दिया है.

calender
10 December 2025, 09:42 AM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag