माउंटबेटन, जिन्ना और कांग्रेस पार्टी...भारत विभाजन के तीन जिम्मेदार, NCERT ने तैयार किया मॉड्यूल; भड़की Congress
एनसीईआरटी के विभाजन मॉड्यूल में जिन्ना, कांग्रेस और माउंटबेटन को जिम्मेदार बताया गया, कश्मीर को नई सुरक्षा चुनौती कहा गया; इसमें गांधी, नेहरू, पटेल के दृष्टिकोण और माउंटबेटन की जल्दबाजी का जिक्र है, जबकि कांग्रेस ने इसे तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाते हुए विरोध किया.

Partition of India-Pakistan: एनसीईआरटी ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के अवसर पर स्कूली छात्रों के लिए एक विशेष मॉड्यूल जारी किया है. इसमें भारत के बंटवारे की पृष्ठभूमि, कारण और परिणामों का विवरण दिया गया है. हालांकि, मॉड्यूल की कुछ बातें राजनीतिक विवाद का कारण बन गई हैं. इस मॉड्यूल विभाजन के लिए तीन पक्ष जिम्मेदार बताए गए हैं. इस मॉड्यूल में दावा किया गया है कि भारत का विभाजन केवल एक व्यक्ति की वजह से नहीं हुआ, बल्कि यह तीन ताकतों की वजह से संभव हुआ. इनमें शामिल हैं-
1. मुहम्मद अली जिन्ना: अलग मुस्लिम राष्ट्र की मांग की.
2. कांग्रेस पार्टीः विभाजन को स्वीकार कर लिया.
3. लॉर्ड माउंटबेटनः विभाजन लागू करने की प्रक्रिया को तेजी से पूरा किया.
मॉड्यूल में यह भी कहा गया है कि विभाजन के परिणामस्वरूप कश्मीर भारत के लिए नई सुरक्षा समस्या बन गया और पड़ोसी देश लगातार इस मुद्दे का इस्तेमाल भारत पर दबाव बनाने के लिए करता रहा.
लाहौर प्रस्ताव का उल्लेख
मॉड्यूल में 1940 के लाहौर प्रस्ताव का जिक्र है, जिसमें जिन्ना ने कहा था कि हिंदू और मुसलमान पूरी तरह अलग-अलग समाज और परंपराओं से जुड़े हैं. इसके आधार पर उन्होंने अलग पाकिस्तान की मांग रखी. मॉड्यूल में यह भी उल्लेख है कि ब्रिटिश सरकार भारत को एकजुट रखने के लिए डोमिनियन स्टेटस का प्रस्ताव लाई थी, लेकिन कांग्रेस ने इसे अस्वीकार कर दिया.
विभाजन पर गांधी, पटेल और नेहरू
मॉड्यूल में सरदार वल्लभभाई पटेल के हवाले से कहा गया है कि भारत में स्थिति विस्फोटक हो गई है, "भारत युद्ध का मैदान बन गया है और गृहयुद्ध की अपेक्षा देश का विभाजन करना बेहतर है, इसमें गांधीजी के रुख का हवाला देते हुए कहा गया है कि वे विभाजन के विरोधी थे, लेकिन हिंसा के ज़रिए कांग्रेस के फ़ैसले का विरोध नहीं करेंगे. पाठ में लिखा है: "उन्होंने कहा कि वे विभाजन में भागीदार नहीं हो सकते, लेकिन वे हिंसा के ज़रिए कांग्रेस को इसे स्वीकार करने से नहीं रोकेंगे." अंततः जवाहरलाल नेहरू और पटेल ने विभाजन स्वीकार कर लिया. बाद में गांधीजी ने 14 जून, 1947 को कांग्रेस कार्यसमिति को भी विभाजन पर सहमत होने के लिए राजी कर लिया.
माउंटबेटन की जल्दबाजी पर आरोप
मॉड्यूल में लॉर्ड माउंटबेटन की आलोचना की गई है. कहा गया कि उन्होंने सत्ता हस्तांतरण की तारीख जून 1948 तय की थी, लेकिन अचानक इसे अगस्त 1947 कर दिया. इससे सीमा रेखा खींचने का काम जल्दबाजी में हुआ और भारी अराजकता फैल गई. कई जगह लोगों को 15 अगस्त तक यह भी पता नहीं था कि वे भारत में हैं या पाकिस्तान में.
कांग्रेस ने किया विरोध
इस मॉड्यूल को लेकर कांग्रेस ने कड़ा विरोध जताया. पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि यह दस्तावेज़ सच्चाई को तोड़-मरोड़ कर पेश करता है और इसे नष्ट कर देना चाहिए. उनका आरोप था कि विभाजन हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग की सांठगांठ का नतीजा था, न कि कांग्रेस की स्वीकृति का. खेड़ा ने आगे कहा कि विभाजन का विचार सबसे पहले 1938 में हिंदू महासभा ने सामने रखा था, जिसे 1940 में जिन्ना ने दोहराया. साथ ही उन्होंने आरएसएस को भी देश की एकता के लिए खतरा बताया.


