नासिक हनीट्रैप कांड: 72 से ज्यादा अधिकारी और मंत्री शक के घेरे में
महाराष्ट्र के नासिक में एक हनीट्रैप मामले ने सनसनी फैला दी है, जिसमें 72 से अधिक वरिष्ठ अधिकारी और मंत्री संलिप्त हो सकते हैं. एक पांच सितारा होटल में हुई घटना के बाद कई आपत्तिजनक वीडियो सामने आए हैं. जांच जारी है और राजनीतिक हलकों में हड़कंप मचा है.

महाराष्ट्र के नासिक शहर से एक चौंकाने वाला हनी ट्रैप मामला सामने आया है, जिसमें राज्य के 72 से अधिक वरिष्ठ अधिकारी, पूर्व और मौजूदा मंत्री संलिप्त हो सकते हैं. इस खुलासे ने नासिक सहित पूरे राज्य के प्रशासनिक और राजनीतिक हलकों में हड़कंप मचा दिया है. जानकारी के मुताबिक, यह मामला एक पांच सितारा होटल में घटित हुआ, लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह एक योजनाबद्ध हनी ट्रैप था या कुछ अधिकारियों की निजी गतिविधियों का परिणाम.
इस मामले की शुरुआत तब हुई जब एक महिला ने मुंबई नाका पुलिस स्टेशन में एक वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. पुलिस जांच में सामने आया कि महिला के पास कई अधिकारियों के आपत्तिजनक वीडियो मौजूद हैं. यही वजह है कि कोई भी अधिकारी खुलकर सामने आने की हिम्मत नहीं कर पा रहा है और पूरा मामला धीरे-धीरे दबाया जा रहा है.
फाइव स्टार होटल में हनीट्रैप?
सूत्रों के अनुसार, नासिक के अलावा मुंबई और पुणे के कई बड़े नाम भी इस मामले से जुड़े हो सकते हैं. हालांकि, आधिकारिक तौर पर किसी का नाम सार्वजनिक नहीं किया गया है. ठाणे अपराध शाखा के पास इस तरह की तीन गंभीर शिकायतें दर्ज हुई हैं, जिनमें शिकायतकर्ताओं ने खुद को हनी ट्रैप में फंसाए जाने का आरोप लगाया है. इन शिकायतों की उच्चस्तरीय और गोपनीय जांच की जा रही है.
नासिक से सामने आई चौंकाने वाली साजिश
जानकारी के अनुसार, जिन लोगों ने शिकायत की है उनमें नासिक के एक वरिष्ठ अधिकारी, नवी मुंबई के एक व्यवसायी और ठाणे की एक प्रमुख हस्ती शामिल हैं. सभी ने गंभीर आरोप लगाए हैं और पुलिस विभाग इन मामलों को संवेदनशीलता के साथ देख रहा है.
अश्लील वीडियो से मचा राजनीतिक भूचाल
फिलहाल ठाणे पुलिस की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इस मामले को लेकर जांच एजेंसियां सतर्क हैं और इसकी जांच का दायरा और बढ़ाया जा सकता है. यदि इन आरोपों की पुष्टि होती है, तो यह मामला राज्य की राजनीति और प्रशासन में बड़ी हलचल पैदा कर सकता है. हनी ट्रैप जैसे मामलों से जुड़ी गोपनीयता और सार्वजनिक भरोसे की रक्षा करना पुलिस और प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गया है.


