NDA के सी.पी. राधाकृष्णन बने भारत के 15वें उपराष्ट्रपति, 152 वोटों के अंतर से जीते चुनाव
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन ने विपक्षी उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी को 152 वोटों से हराकर भारत के 15वें उपराष्ट्रपति का पद संभाल लिया है. कुल 767 वोट पड़े, जिनमें 452 राधाकृष्णन को मिले. 13 सांसदों ने मतदान नहीं किया. इस ऐतिहासिक जीत के साथ राधाकृष्णन अब राज्यसभा के सभापति की जिम्मेदारी निभाएंगे.

CP Radhakrishnan 15th Vice President of India : जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा देने के बाद भारत की राजनीति में हलचल मच गई थी. इस अप्रत्याशित घटनाक्रम ने न केवल राजनीतिक गलियारों में बल्कि आम जनता के बीच भी उपराष्ट्रपति पद को लेकर गहरी दिलचस्पी पैदा कर दी. लंबे समय से कयासों और प्रत्याशियों के नामों को लेकर चल रही चर्चाओं के बाद अब आखिरकार भारत को अपना 15वां उपराष्ट्रपति मिल गया है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन ने भारी बहुमत के साथ इस प्रतिष्ठित पद पर विजय प्राप्त की है. दूसरी ओर, विपक्षी गठबंधन यूपीए (UPA) के प्रत्याशी सुदर्शन रेड्डी को पराजय का सामना करना पड़ा.
#WATCH | Delhi: PC Mody, Secretary-General, Rajya Sabha says, "NDA nominee and Maharashtra Governor C.P. Radhakrishnan got 452 first preference votes. He has been elected as the Vice President of India... Opposition's vice-presidential candidate Justice Sudershan Reddy secured… pic.twitter.com/hW7dUY0yfi
— ANI (@ANI) September 9, 2025
चुनाव में कुल 767 सांसदों ने किया मतदान
इस चुनाव में कुल 767 सांसदों ने मतदान किया, जिसमें से 452 सांसदों ने राधाकृष्णन के पक्ष में मत डाला, जबकि सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट प्राप्त हुए. इस प्रकार राधाकृष्णन को 152 मतों के भारी अंतर से जीत मिली. चुनाव प्रक्रिया में 15 वोट अमान्य पाए गए, जबकि कुल 13 सांसदों ने मतदान से दूरी बनाई. इनमें बीजेडी के 7, बीआरएस के 4, अकाली दल का एक और एक निर्दलीय सांसद शामिल रहे. गौरतलब है कि संसद में कुल 788 सीटें हैं, जिनमें से 7 सीटें फिलहाल रिक्त हैं. इसलिए उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए 781 सांसदों के वोट डालने की अपेक्षा थी.
राधाकृष्णन को लेकर NDA में उत्साह
सी.पी. राधाकृष्णन की यह जीत ना केवल एनडीए के लिए एक बड़ा राजनीतिक संकेत है, बल्कि आने वाले समय में राज्यसभा में उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होने जा रही है, क्योंकि उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं. साफ-सुथरी छवि, अनुशासित राजनीतिक जीवन और वरिष्ठ नेतृत्व में विश्वास रखने वाले राधाकृष्णन को लेकर एनडीए समर्थकों में उत्साह है, वहीं विपक्ष के लिए यह हार एक बार फिर रणनीति पर पुनर्विचार का संकेत देती है.


