संप्रभुता से समझौता नहीं, पीएम मोदी का चीन की मेगा परियोजना पर निशाना
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने कनेक्टिविटी परियोजनाओं पर जोर देते हुए चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) पर अप्रत्यक्ष प्रहार किया.

चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कनेक्टिविटी परियोजनाओं पर जोर देते हुए चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) पर अप्रत्यक्ष प्रहार किया. मोदी ने साफ कहा कि संपर्क योजनाएं तभी सार्थक होती हैं जब वे देशों की संप्रभुता का सम्मान करें.
चीन की आधारभूत ढांचा परियोजना है बीआरआई
बीआरआई, चीन की बहुचर्चित आधारभूत ढांचा परियोजना है, जो एशिया, अफ्रीका और यूरोप तक फैली हुई है. इसका अहम हिस्सा चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा है, जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से गुजरता है. भारत लंबे समय से इस परियोजना का विरोध करता रहा है, क्योंकि इसमें उसकी सहमति की अनदेखी की गई है और यह उसकी क्षेत्रीय अखंडता को चुनौती देता है.
मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि कनेक्टिविटी तभी भरोसा पैदा कर सकती है, जब यह राष्ट्रीय संप्रभुता का सम्मान करे. अन्यथा यह न विश्वास देती है, न विश्वसनीयता. उन्होंने चाबहार बंदरगाह और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) जैसी भारतीय परियोजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि भारत हमेशा सकारात्मक और पारदर्शी कनेक्टिविटी का समर्थक रहा है.
मोदी ने एससीओ की नीतियों का किया जिक्र
प्रधानमंत्री ने कहा कि एससीओ की नीतियां तीन स्तंभों सुरक्षा, कनेक्टिविटी और अवसर पर आधारित हैं. सुरक्षा के संदर्भ में उन्होंने आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद को सबसे बड़ी चुनौतियां बताया. मोदी ने याद दिलाया कि भारत चार दशक से आतंकवाद का दंश झेल रहा है और हाल ही में पहलगाम की घटना ने इसकी गंभीरता को उजागर किया. उन्होंने कहा कि एससीओ की रीजनल एंटी-टेररिस्ट स्ट्रक्चर (RATS) इस लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.
उन्होंने बताया कि भारत ने चरमपंथ और आतंकवादी वित्तपोषण के खिलाफ साझा कार्रवाई का नेतृत्व किया है. साथ ही, वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत ने कई पहलें की हैं.
अवसरों के स्तंभ पर बात करते हुए मोदी ने कहा कि भारत की 2023 की एससीओ अध्यक्षता के दौरान स्टार्टअप, डिजिटल समावेशन, पारंपरिक चिकित्सा और सांस्कृतिक धरोहर जैसे क्षेत्रों में नए विचार पेश किए गए. उन्होंने एक सभ्यतागत संवाद मंच बनाने का भी सुझाव दिया, ताकि सदस्य देशों की कला, साहित्य और परंपराओं को दुनिया तक पहुंचाया जा सके.
वैश्विक संस्थाओं में सुधार की आवश्यकता पर जोर
प्रधानमंत्री ने बताया कि संगठित अपराध, मादक पदार्थों की तस्करी और साइबर अपराध से निपटने के लिए एससीओ में चार नए केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सहित वैश्विक संस्थाओं में सुधार की आवश्यकता पर भी जोर दिया और कहा कि ग्लोबल साउथ की आकांक्षाओं को पुराने ढांचों में नहीं बांधा जा सकता.
मोदी ने अपने संबोधन का समापन इस संदेश के साथ किया कि भारत आज रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म की नीति पर आगे बढ़ रहा है और वह सभी एससीओ सदस्य देशों को अपनी विकास यात्रा का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित करता है.


