बेंगलुरु में ओला इंजीनियर की आत्महत्या, मालिक भावेश अग्रवाल समेत अफसरों पर FIR दर्ज
बेंगलुरु में ओला इलेक्ट्रिक कंपनी के इंजीनियर के. अरविंद ने आत्महत्या कर ली। 28 पन्नों के सुसाइड नोट में उसने कंपनी मालिक और अफसरों पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया।

National News: बेंगलुरु से एक बड़ी और दर्दनाक खबर सामने आई है। ओला इलेक्ट्रिक कंपनी में काम करने वाले 38 साल के इंजीनियर के. अरविंद ने आत्महत्या कर ली है। उसने अपनी मौत से पहले 28 पन्नों का सुसाइड नोट छोड़ा है। इसमें कंपनी के मालिक भावेश अग्रवाल समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों का नाम दर्ज किया गया है। अरविंद ने सभी पर मानसिक उत्पीड़न और दबाव बनाने का आरोप लगाया है। इस घटना ने पूरे कॉर्पोरेट सेक्टर में हलचल मचा दी है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर क्यों एक सफल इंजीनियर इस हालात में पहुंच गया।
भाई ने लिखाई शिकायत
अरविंद के भाई ने इस घटना को लेकर बेंगलुरु पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में साफ तौर पर कहा गया है कि कंपनी के मालिक और कुछ वरिष्ठ अफसरों ने अरविंद को इतना परेशान किया कि वह आत्महत्या के लिए मजबूर हो गया। पुलिस ने इस शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज कर ली है। एफआईआर में भावेश अग्रवाल समेत कई बड़े नाम शामिल हैं। मामले के गंभीर होने की वजह से पुलिस अब तेजी से जांच कर रही है। यह मामला कंपनी की छवि के लिए भी बड़ा झटका साबित हो रहा है।
अस्पताल में हुई मौत
अधिकारियों ने बताया कि अरविंद ओला इलेक्ट्रिक में बतौर होमोलॉगेशन इंजीनियर काम कर रहे थे। वह 2022 से कंपनी से जुड़े हुए थे। 28 सितंबर को उन्होंने जहर खा लिया। उनकी हालत बिगड़ने पर दोस्त उन्हें तुरंत महाराजा अग्रसेन अस्पताल लेकर पहुंचे। डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। यह खबर सामने आते ही बेंगलुरु में कंपनी कर्मचारियों में खौफ और मायूसी फैल गई। सभी इस दुखद घटना से हैरान हैं।
कंपनी ने दिए बयान
ओला कंपनी ने हालांकि इन आरोपों को सिरे से नकार दिया है। कंपनी का कहना है कि अरविंद ने कभी भी आधिकारिक रूप से कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई थी। न ही उन्होंने अपने किसी वरिष्ठ अधिकारी या मानव संसाधन विभाग को परेशानी बताई थी। कंपनी ने बयान में कहा कि यह एक बेहद दुखद घटना है और प्रबंधन इस मामले में पूरी तरह सहयोग करेगा। कंपनी का दावा है कि यह व्यक्तिगत मामला है, लेकिन पुलिस को सच्चाई सामने लाने दी जाएगी।
कामकाजी माहौल पर सवाल
इस आत्महत्या ने कॉर्पोरेट वर्ल्ड के कामकाजी माहौल पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। क्या कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों पर इतना दबाव डाला जा रहा है कि वे जिंदगी से हार मान लें? सुसाइड नोट के 28 पन्ने कई खुलासे करते हैं। इसमें लिखा है कि लगातार डेडलाइन, अपमान और तनाव की वजह से वह टूट चुका था। इस नोट को पुलिस ने सबूत के तौर पर जब्त कर लिया है और इसकी जांच की जा रही है।
न्याय की मांग कर रहा परिवार
परिवार के लोग इस घटना से बेहद सदमे में हैं। अरविंद के भाई ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनका भाई बेहद होनहार और मेहनती इंसान था। लेकिन कंपनी में उसे लगातार प्रताड़ित किया जा रहा था। परिवार का आरोप है कि अगर उसे सही समय पर मदद दी जाती तो शायद उसकी जान बच सकती थी। परिवार अब न्याय की मांग कर रहा है और चाहता है कि जिम्मेदार लोगों को सख्त सजा मिले।
पुलिस जांच कर रही गहराई से
पुलिस ने इस पूरे मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम बनाई है। टीम कंपनी के दस्तावेज, ईमेल और अधिकारियों के बयान खंगाल रही है। जांच में यह भी देखा जा रहा है कि क्या सच में अरविंद पर दबाव बनाया जा रहा था या नहीं। यह केस अब सिर्फ एक आत्महत्या नहीं बल्कि कॉर्पोरेट वर्क कल्चर पर भी सवाल है। आने वाले दिनों में यह मामला और बड़ा हो सकता है क्योंकि इसमें कई नामचीन अफसरों पर आरोप लगे हैं। समाज में यह चर्चा है कि अगर ऐसे मामलों पर सख्ती नहीं हुई तो भविष्य में और भी कर्मचारी दबाव में आकर खतरनाक कदम उठा सकते हैं।


