वंदे मातरम के 100 साल पर देश को इमरजेंसी में झौंक दिया- पीएम मोदी का कांग्रेस पर बड़ा हमला
लोकसभा में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर विशेष चर्चा हुई, जिसमें पीएम मोदी ने स्वतंत्रता आंदोलन में गीत की भूमिका और कांग्रेस पर निशाना साधा. यह बहस राष्ट्रीय प्रतीकों के महत्व और इतिहास पर विचार की याद दिलाती है.

नई दिल्लीः लोकसभा में आज का दिन ऐतिहासिक माना जा रहा है, क्योंकि राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में विशेष चर्चा हो रही है. संसद के प्रथम सप्ताह में काफी हंगामा देखने को मिला था, लेकिन दूसरे सप्ताह की शुरुआत इस महत्वपूर्ण विषय के साथ हुई. विपक्ष जहां लगातार SIR मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहा था, वहीं सरकार ने स्पष्ट कहा कि पहले वंदे मातरम पर चर्चा होगी, उसके बाद चुनाव सुधारों पर बहस की जाएगी.
पीएम मोदी ने की विशेष चर्चा की शुरुआत
सोमवार दोपहर 12 बजे के बाद लोकसभा में वंदे मातरम पर विस्तृत चर्चा शुरू हुई. इस महत्वपूर्ण बहस का पहला वक्तव्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखा. कांग्रेस की ओर से गौरव गोगोई और प्रियंका गांधी मुख्य वक्ता के रूप में चर्चा में शामिल हुए. इस विषय पर करीब 10 घंटे की चर्चा निर्धारित है, जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि सोमवार को लोकसभा देर रात तक चलेगी.
वंदे मातरम ने आजादी की लड़ाई को शक्ति दी- प्रधानमंत्री मोदी
चर्चा की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज हम एक ऐतिहासिक क्षण के साक्षी हैं. उन्होंने कहा कि वंदे मातरम केवल एक गीत नहीं, बल्कि वह शक्ति है जिसने स्वतंत्रता आंदोलन को ऊर्जा प्रदान की. उन्होंने इसे भारत के आत्मसम्मान और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बताया.
राष्ट्रगीत के ‘टुकड़े’ करने पर सरकार का निशाना
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कांग्रेस पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के निर्णय ने बंटवारे के बीज बोए और राष्ट्रगीत के टुकड़े कर दिए. उनका यह बयान उस ऐतिहासिक निर्णय की ओर इशारा था जब संविधान सभा ने वंदे मातरम के केवल पहले दो छंद को आधिकारिक रूप से स्वीकार किया था.
100 साल पर इमरजेंसी में जकड़ा हुआ था देश
पीएम मोदी ने कहा कि जब वंदे मातरम 50 वर्ष का हुआ, तब भारत गुलामी में जकड़ा हुआ था. वहीं, इसके 100 वर्ष पूरे होने पर देश आपातकाल की साजिशों में जकड़ा था. जिस समय वंदे मातरम का अत्यंत उत्सव होना चाहिए था, उस समय संविधान और लोकतंत्र पर भी संकट आया. उन्होंने याद दिलाया कि उस दौर में देशभक्ति के लिए संघर्ष करने वालों को जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया गया. वंदे मातरम के गीत ने स्वतंत्रता आंदोलन को ऊर्जा दी, लेकिन उसके शताब्दी वर्ष पर देश ने एक काले अध्याय का सामना किया.
सिर्फ राजनीतिक मंत्र नहीं
प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि वंदे मातरम केवल राजनीतिक स्वतंत्रता की लड़ाई का मंत्र नहीं था. यह गीत देशवासियों को प्रेरित करता था कि वे मातृभूमि को भी स्वतंत्र बनाएं. उन्होंने कहा कि वंदे मातरम सिर्फ अंग्रेजों से स्वतंत्र होने की प्रेरणा नहीं देता, बल्कि यह मातृभूमि की मुक्ति के लिए समर्पण और संघर्ष का प्रतीक है.
बंकिम चंद्र चटर्जी को दी श्रद्धांजलि
पीएम मोदी ने वंदे मातरम के रचयिता बंकिम चंद्र चटर्जी को याद करते हुए कहा कि यह गीत 1875 में लिखा गया था, जब भारत पर अंग्रेजों का शासन बौखलाया हुआ था. उस समय 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों का दबदबा कायम था और उनके राष्ट्रीय गीत 'गॉड सेव द क्वीन' को घर-घर पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा था. वंदे मातरम ने उस कठिन समय में देशवासियों के हृदय में स्वतंत्रता की ज्वाला प्रज्वलित की.
स्वतंत्रता आंदोलन और वंदे मातरम
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यही वंदे मातरम है जिसने 1947 में देश को आजादी दिलाई. स्वतंत्रता संग्राम का भावनात्मक नेतृत्व इस गीत के जयघोष में था. यह केवल राजनीतिक या धार्मिक भावना नहीं, बल्कि देशवासियों की आत्मा और संकल्प का प्रतीक है. उन्होंने जोर देकर कहा कि वंदे मातरम सभी के लिए सम्मान का विषय है और इस गीत में कोई पक्ष या प्रतिपक्ष नहीं है.
2047 का संकल्प
पीएम मोदी ने कहा कि वंदे मातरम हमें आने वाले समय में देश को आत्मनिर्भर और विकसित बनाने की प्रेरणा देता है. उन्होंने 2047 में विकसित भारत बनाने का संकल्प दोहराने के लिए वंदे मातरम को एक अवसर बताया और इसे राष्ट्र की शक्ति और एकता का प्रतीक कहा. प्रधानमंत्री ने अंत में कहा कि वंदे मातरम ने स्वतंत्रता संग्राम को दिशा दी और आजादी की भावना को जीवित रखा. यह केवल गीत नहीं, बल्कि भारतीय राष्ट्रवाद और देशभक्ति की पहचान है.


