पाकिस्तान की बढ़ेगी चिंता! भारत को मिलेगा ब्रह्मोस-NG, घर बैठे होगा दुश्मन का खात्मा
भारतीय सेना अपने राफेल लड़ाकू विमानों में ब्रह्मोस-NG मिसाइल तैनात करने की तैयारी में है. 290 किमी रेंज और 4170 किमी/घंटा की रफ्तार वाली यह मिसाइल दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमला करेगी. डिसाल्ट एविएशन की मंजूरी से ‘मेक इन इंडिया’ को भी मजबूती मिलेगी.

भारत की वायु शक्ति को जल्द ही एक और जबरदस्त बढ़त मिलने जा रही है. भारतीय वायुसेना और नौसेना अपने अत्याधुनिक राफेल लड़ाकू विमानों में स्वदेशी ब्रह्मोस-एनजी (नेक्स्ट जेनरेशन) सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को तैनात करने की तैयारी में हैं. यह मिसाइल 290 किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य भेद सकती है और इसकी गति लगभग Mach 3.5 (4170 किमी/घंटा) है. इतनी तेज रफ्तार के कारण यह दुश्मन के रडार सिस्टम और एयर डिफेंस को चकमा देकर बेहद सटीक और विध्वंसक हमले कर सकती है.
डिसाल्ट एविएशन ने भारत की स्वदेशी मिसाइल प्रणाली को राफेल के साथ एकीकृत करने की मंजूरी दे दी है. यह फैसला ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को मजबूत करने के साथ-साथ भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता को भी और सुदृढ़ करेगा. राफेल पहले से ही पाकिस्तान के JF-17 जैसे विमानों से कहीं अधिक शक्तिशाली है, और अब ब्रह्मोस-NG के साथ यह एक स्ट्रैटेजिक स्ट्राइक प्लेटफॉर्म में तब्दील हो जाएगा.
ब्रह्मोस-NG से भारत की स्ट्राइक क्षमता होगी दोगुनी
ब्रह्मोस-NG के जुड़ने से भारतीय वायुसेना के पास ऐसी क्षमता होगी जिससे वह दुश्मन के सैन्य ठिकानों, आतंकवादी लॉन्चपैड्स या कमांड सेंटर्स को बिना सीमा लांघे ही पलभर में ध्वस्त कर सकती है. यह पाकिस्तान की सुरक्षा रणनीति और टेरर-सपोर्टिंग पॉलिसी के लिए बड़ा झटका होगा. भारत अब हवाई घुसपैठ या आतंकी हरकतों का जवाब और भी तेज़, सटीक और दूर तक दे सकेगा.
दुश्मन के ठिकाने अब निशाने पर
ब्रह्मोस-NG का पहला परीक्षण वर्ष 2026 में किया जाएगा और इसका निर्माण उत्तर प्रदेश के लखनऊ स्थित ब्रह्मोस प्रोडक्शन सेंटर में होगा. यह केंद्र भारत को मिसाइल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. ब्रह्मोस-NG, ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल का हल्का और उन्नत संस्करण है, जिसका वजन मात्र 1.5 टन है—जो कि मूल ब्रह्मोस से लगभग 50% हल्का है. इसकी डिजाइन को स्टील्थ तकनीक के अनुरूप तैयार किया गया है, जिससे यह दुश्मन के रडार में पकड़ में नहीं आती.
भारत की वायुसेना को मिलेगा ब्रह्मोस-NG
इसकी स्ट्राइक एक्यूरेसी सेमी-एक्टिव लेजर और इनर्शियल GPS/GLONASS नेविगेशन सिस्टम पर आधारित है, जिससे यह एक हाई-प्रिसिशन हथियार बन जाता है. एक फाइटर जेट में दो ब्रह्मोस-NG मिसाइलें तैनात की जा सकती हैं, जिससे एक sortie में दो अलग-अलग लक्ष्यों पर हमले संभव हैं. यह मिसाइल वायुसेना के अलावा सेना और नौसेना के लिए भी उपयुक्त है, क्योंकि इसे एयर-लॉन्च, लैंड-बेस्ड और शिप-बेस्ड वर्जन में उपयोग किया जा सकता है.


