लोग हमें ताकतवर कहते हैं...जमानत पर रोक लगने के बाद टूट गईं कुलदीप सिंह सेंगर की बेटी, लिखा खुला खत
इशिता सेंगर ने अपने पिता कुलदीप सिंह सेंगर के लिए खुला पत्र लिखा, जिसमें धमकियों और मानसिक दबाव की बातें कीं. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई, जिससे उन्हें न्याय मिला और परिवार को राहत मिली.

नई दिल्ली: उन्नाव बलात्कार मामले के आरोपी और पूर्व भाजपा नेता कुलदीप सिंह सेंगर की बेटी, इशिता सेंगर ने हाल ही में अपने पिता के लिए न्याय की मांग करते हुए एक खुला पत्र लिखा है. इशिता ने इस पत्र में बताया कि उनके पिता के मुकदमों के कारण उन्हें और उनके पूरे परिवार को लगातार धमकियां मिल रही हैं, जिससे परिवार पर मानसिक और सामाजिक दबाव बढ़ता जा रहा है.
इशिता का खुला पत्र
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर इशिता ने लिखा कि वह यह पत्र एक ऐसी बेटी के रूप में लिख रही है जो थकी हुई, डरी हुई और धीरे-धीरे अपना विश्वास खो रही है, लेकिन फिर भी उम्मीद से जुड़ी हुई है. उन्होंने कहा कि लोग उन्हें शक्तिशाली कहते हैं, लेकिन उन्होंने सवाल उठाया कि किस तरह की शक्ति एक परिवार को आठ साल तक बेबस छोड़ देती है.
To
The Hon’ble Authorities of the Republic of India,
I am writing this letter as a daughter who is exhausted, frightened, and slowly losing faith, but still holding on to hope because there is nowhere else left to go.
For eight years, my family and I have waited. Quietly.…— Dr Ishita Sengar (@IshitaSengar) December 29, 2025
इशिता ने आगे लिखा कि उनकी पहचान अब केवल भाजपा विधायक की बेटी तक सीमित रह गई है और सोशल मीडिया पर उन्हें कई बार यह कहा गया कि उन्हें अस्तित्व में रहने के कारण ही नुकसान पहुंचाना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि उनके परिवार की गरिमा धीरे-धीरे छीनी जा रही है और पिछले आठ वर्षों से उन्हें प्रतिदिन दुर्व्यवहार, उपहास और अमानवीय व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक
इस खुला पत्र ऐसे समय आया जब सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी. दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 दिसंबर को सेंगर को 2017 के उन्नाव बलात्कार मामले में दी गई आजीवन कारावास की सजा को चुनौती दी जाने वाली अपील लंबित रहने तक निलंबित कर दिया था और उन्हें जमानत दे दी थी. सेंगर पहले ही सात साल और पांच महीने जेल में बिता चुके हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए सेंगर को नोटिस जारी किया और उन्हें अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. इस फैसले से इशिता ने राहत महसूस की और कहा कि उन्हें न्याय मिला है. उन्होंने कहा कि मैं शुरू से ही न्याय के लिए आवाज उठाती रही हूं. मुझे सभी अदालतों पर भरोसा है और सुप्रीम कोर्ट ने मुझे न्याय दिया है और आगे भी देगा.
हाईकोर्ट का आदेश
दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सेंगर को 15 लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के तीन ज़मानतदार पेश करने का निर्देश दिया था. सेंगर ने बलात्कार मामले में निचली अदालत के दिसंबर 2019 के फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.
परिवार की मजबूरी
इशिता का यह खुला पत्र परिवार की दशा और उनके संघर्ष को उजागर करता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका परिवार लगातार मानसिक दबाव और धमकियों का सामना कर रहा है, लेकिन उनके अंदर अभी भी न्याय की उम्मीद जिंदा है. यह मामला यह दिखाता है कि पीड़ित परिवारों को लंबे समय तक न्याय की प्रक्रिया में संघर्ष करना पड़ता है और अदालतों के फैसलों पर उनका भरोसा न्याय पाने का सबसे बड़ा आधार होता है.
इशिता सेंगर ने अंत में यह संदेश दिया कि उनके पिता के मामले में न्याय की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है, और वे पूरी दृढ़ता के साथ अपने परिवार की गरिमा और न्याय के लिए आवाज उठाती रहेंगी.


