दिवाली बाद पीएम मोदी बिहार में शुरू करेंगे ताबड़तोड़ चुनाव प्रचार, रक्षा मंत्री, गृह मंत्री भी जनता से करेंगे वोट की अपील
NDA campaign: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 से 30 अक्टूबर तक बिहार में 12 रैलियों के जरिए एनडीए के चुनावी अभियान का नेतृत्व करेंगे. अमित शाह, राजनाथ सिंह समेत शीर्ष नेता भी सक्रिय हैं. वहीं, राजद-कांग्रेस गठबंधन आंतरिक कलह से जूझ रहा है. मोदी की रैलियां मतदाताओं में विश्वास और उत्साह भरने पर केंद्रित हैं.

NDA campaign: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार विधानसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के प्रचार अभियान की कमान संभालने जा रहे हैं. वे राज्यभर में 12 जनसभाओं की श्रृंखला के माध्यम से एनडीए की चुनावी रणनीति को गति देंगे. मोदी का यह अभियान 24 अक्टूबर को समस्तीपुर में एक बड़ी रैली से शुरू होकर उसी दिन बेगूसराय में एक और सभा के साथ आगे बढ़ेगा. यह सिलसिला 30 अक्टूबर तक चलेगा.
बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के अनुसार, प्रधानमंत्री की रैलियों के लिए 10 प्रमुख स्थानों का प्रस्ताव प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा गया है. जायसवाल ने यह भी स्पष्ट किया कि मोदी छठ पूजा के दौरान कोई रैली नहीं करेंगे ताकि त्योहारों में श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो. ये सभाएं 6 और 11 नवंबर को होने वाले मतदान चरणों से पहले एनडीए के लिए शक्ति प्रदर्शन का प्रतीक मानी जा रही हैं. चुनाव परिणाम 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे.
एनडीए की पूरी ताकत मैदान में
बिहार में एनडीए ने अपनी पूरी चुनावी मशीनरी सक्रिय कर दी है. प्रधानमंत्री मोदी के साथ-साथ गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी राज्यभर में दर्जनों रैलियाँ करेंगे. गठबंधन के नेताओं के अनुसार, मोदी का यह दौरा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व को मजबूत करने और एनडीए की अगली संभावित सरकार के लिए समर्थन जुटाने का प्रयास है.
इस बीच, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव भी प्रमुख क्षेत्रों में जनसभाएं कर रहे हैं. इन रैलियों में भारी भीड़ जुट रही है, जो एनडीए की संगठनात्मक मजबूती और मतदाताओं से सीधा संपर्क साधने की रणनीति को दर्शाती है.
महागठबंधन में बढ़ती अंदरूनी कलह
जहां एनडीए अपना प्रचार अभियान तेज़ी से आगे बढ़ा रहा है, वहीं विपक्षी महागठबंधन जिसमें राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और वामपंथी दल शामिल हैं. आंतरिक मतभेदों से जूझ रहा है. सीटों के बंटवारे को लेकर लालगंज, वैशाली, राजापाकर और कहलगाँव जैसे कई इलाकों में सहयोगी दलों के बीच “दोस्ताना लड़ाई” देखने को मिल रही है.
राहुल गांधी अब तक प्रचार अभियान से दूरी बनाए हुए हैं, जबकि राजद नेता तेजस्वी यादव की सक्रियता भी सीमित रही है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह असमंजस विपक्ष के पारंपरिक वोट बैंक, खासकर 17.5 प्रतिशत मुस्लिम मतदाताओं में विभाजन पैदा कर सकता है. वहीं, प्रशांत किशोर की जन सुराज और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम भी इन्हीं मतदाताओं को साधने में जुटी हैं, जिससे विपक्षी एकता कमजोर होती दिख रही है.
वोटरों में विश्वास जगाने की कोशिश
प्रधानमंत्री मोदी का यह चुनावी दौरा दिवाली और छठ जैसे प्रमुख त्योहारों से ठीक पहले आयोजित हो रहा है. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि इसका उद्देश्य मतदाताओं में उत्साह और विश्वास जगाना है. मोदी अपनी रैलियों के माध्यम से स्थिरता, विकास और सुशासन के संदेश को जनता तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे.
एनडीए की रणनीति यह दिखाने की है कि वह एकजुट, संगठित और नेतृत्व में सक्षम है, जबकि विपक्ष आंतरिक खींचतान में उलझा हुआ है. बिहार की सियासी फिजा में प्रधानमंत्री मोदी की ये रैलियां चुनावी माहौल को नई दिशा देने और एनडीए के पक्ष में मजबूत लहर पैदा करने की उम्मीद जगाती हैं.


