सैलाब से तबाही, खेत-खलिहान डूबे लेकिन पंजाबियों ने लंगर, मदद और भाईचारे से उम्मीद की नई मिसाल कायम की
पंजाब में सैलाब ने 55 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। खेत, घर और मवेशी सब बह गए, लेकिन मुश्किल वक्त में पंजाबी एक-दूसरे के साथ खड़े दिखे। इंसानियत, हिम्मत और सेवा ने इस तबाही को भी उम्मीद में बदल दिया।

Punjab News: पंजाब के सतलुज, ब्यास और रावी ने उफान मारते हुए पूरे इलाक़े को पानी में डुबो दिया। अब घग्गर नदी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटे का रेड अलर्ट जारी किया है। पहाड़ी इलाकों से लगातार बरसात का पानी मैदानी हिस्सों तक पहुंच रहा है। बारह ज़िलों में ज़िंदगी अस्त-व्यस्त हो चुकी है। लोग छतों पर तंबू गाड़कर रात काट रहे हैं। इस सैलाब में कई संगठन और समाजसेवी भी मैदान में उतर आए हैं। जगह-जगह लंगर सेवा चलाई जा रही है। पशुओं के लिए चारा और लोगों के लिए राशन पहुँचाया जा रहा है। प्रशासन ने टूटे हुए बांधों को बचाने के लिए रेत से भरी बोरियां लगाई हैं। सेना और एनडीआरएफ की टीम लगातार रेस्क्यू कर रही है। लोग नावों से सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाए जा रहे हैं। यह मुसीबत इंसानियत को और मज़बूत बना रही है।
जज़्बे से खड़े लोग
बाढ़ पीड़ित गांवों में लोग अपने घरों को छोड़ने पर मजबूर हुए हैं। कई परिवारों ने मंदिरों और गुरुद्वारों को शरण बनाया है। वहां उन्हें खाने-पीने से लेकर रहने की सुविधा मिल रही है। गांव के लोग एक-दूसरे को हिम्मत दे रहे हैं। महिलाएं बच्चों को संभाल रही हैं और बुज़ुर्ग सबको दुआएं दे रहे हैं। ऐसे माहौल में भी लोगों के होंसले टूटे नहीं हैं।
जस बाजवा की मिसाल
पंजाबी गायक जस बाजवा ने बाढ़ पीड़ितों के बीच जाकर इंसानियत की मिसाल पेश की। एक बुज़ुर्ग जिसने घर और मवेशी खो दिए, उनकी आंखों में आंसू आ गए। तभी बाजवा ने उन्हें भरोसा दिलाया कि वह उनके लिए नई मंझ खरीदकर देंगे। इस वादे से बुज़ुर्ग के चेहरे पर थोड़ी राहत दिखी। वहां मौजूद पुलिसकर्मी भी भावुक होकर रो पड़े। यह पल सबके दिल को छू गया।
चाय का भावुक किस्सा
चंडीगढ़ से कवरेज करने आए एक पत्रकार ने सोशल मीडिया पर किस्सा साझा किया। उन्होंने बताया कि गांव पानी में डूबा था, लोग अपने घर खो चुके थे। बातचीत के बाद जब वह जाने लगे तो ग्रामीणों ने पूछा “चाय पियोगे?” तभी गुरुद्वारे से एक नौजवान गरमागरम चाय लेकर आ गया। इस मेहरबानी ने सबको भावुक कर दिया। ये वही पंजाब है जहां मेहमान को भगवान माना जाता है।
सरकार की कोशिशें
पंजाब के मंत्री और विधायक भी प्रभावित इलाकों का दौरा कर रहे हैं। वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने पठानकोट में राहत कार्यों का जायज़ा लिया। प्रशासन ने लोगों से नदियों और नालों से दूर रहने की अपील की है। एनडीआरएफ और सेना की टीमें चौबीस घंटे जुटी हैं। डॉक्टर और मेडिकल टीमें बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए काम कर रही हैं। सरकार ने वादा किया है कि किसी को अकेला नहीं छोड़ा जाएगा।
उम्मीद की रौशनी
तबाही के इस मंजर में भी पंजाबियों का हौसला टूटता नज़र नहीं आया। गांव-गांव से लोग एक-दूसरे की मदद के लिए खड़े हैं। बच्चे राशन बांट रहे हैं, नौजवान नावें चला रहे हैं और औरतें लंगर पका रही हैं। यह संकट बता रहा है कि इंसानियत ही सबसे बड़ी ताक़त है। बाढ़ ने ज़मीन छीन ली लेकिन उम्मीद की रौशनी अब भी कायम है।


